जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि परिसीमन आयोग ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में जम्मू और कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में बड़े बदलाव का प्रस्ताव दिया है, खासकर कश्मीर घाटी में। आयोग ने भाजपा के पक्ष में काम किया जिससे उन्हें विधानसभा में बहुमत मिल सके।
प्रदेश में गर्माई राजनीति के बीच आयोग की अंतरिम रिपोर्ट पर गुपकार गठबंधन की शनिवार को डॉ. फारूक अब्दुल्ला के आवास पर बैठक हुई। इसमें गुपकार गठबंधन के दलों का रिपोर्ट पर पक्ष भी सार्वजनिक किया गया। पीएजीडी - जिसमें जम्मू और कश्मीर के पांच मुख्यधारा के राजनीतिक दल शामिल हैं। इनमें नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, सीपीआई, जम्मू-कश्मीर अवामी नेशनल कांफ्रेंस और जेकेपीएम हैं।
पीएजीडी के प्रवक्ता एम वाई तारिगामी ने कहा कि आयोग के मसौदा प्रस्तावों सहित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई चर्चा के दौरान सभी घटक मौजूद थे। तारिगामी ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने का जिक्र करते हुए कहा, "हमारा स्टैंड यह है कि 5 और 6 अगस्त, 2019 को संसद में जो हुआ वह असंवैधानिक था।" पीएजीडी अपने रुख पर दृढ़ है कि वर्तमान परिसीमन अभ्यास जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत किया जा रहा है जिसे गठबंधन के घटक द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।
पीपुल्स अलायंस फॉर गुप्कर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) ने शनिवार को कहा कि वे परिसीमन प्रक्रिया के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर में चल रही कवायद "असंवैधानिक" है। हालाकि गुपकार गठबंधन पहले ही परिसीमन आयोग की मसौदा रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर चुका है।
वहीं, प्रदेश के अन्य दल भी परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के सार्वजनिक होने का इंतजार बेसब्री से कर रहे हैं। मसौदा रिपोर्ट पर एसोसिएट सदस्यों की आपत्तियों पर आयोग की बैठक वीरवार 24 फरवरी को नई दिल्ली में हो चुकी है। ऐसे में रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से पहले कितनी आपत्तियों को दूर किया जाता है इस पर भी निगाहें टिकी हुई हैं। अंतरिम रिपोर्ट के सार्वजनिक होने पर सियासी दल अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से भी बड़ी संख्या में आपत्तियां दर्ज करवाने की तैयारी भी कर रहे हैं।