भारत में डीएनए फिंगर प्रिंटिंग के जनक रहे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक लालजी सिंह का निधन हो गया है। 70 वर्षीय सिंह ने रविवार रात आखिरी सांसें ली। पद्मश्री से सम्मानित सिंह कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केन्द्र के संस्थापक थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरा दुख जताते हुए कहा है कि उनके निधन से देश ने एक महान शिक्षाविद और वैज्ञानिक खो दिया है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक डीएनए परीक्षण की मदद से सिंह ने देश की कई चर्चित हत्याओं की गुत्थी सुलझाने में कानूनी एजेंसियों की मदद की। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद उनके शव का डीएनए टेस्ट उन्होंने ही किया था। इसके अलावा नैना साहनी, स्वामी श्रद्धानंद, पंजाब के मुख्यमंत्री रहे बेअंत सिंह, मधुमिता और मंटू हत्याकांड जैसे मामलों को डीएनए फिंगर प्रिंट तकनीक से जांच करके सुलझाया था।
सिंह जौनपुर जिले के रहने वाले थे। उन्होंने बीएसी, एमएससी और पीएचडी बीएचयू से की। बाद में बीएचयू के कुलपति भी बने। दिल्ली जाते वक्त दिल का दौरा पड़ने पर उन्होंने अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बीएचयू के सुंदर लाल हॉस्पिटल के चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट ओपी उपाध्याय ने बताया कि लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे पर सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में लाया गया। लेकिन, उनकी जिंदगी बचाने में सफलता नहीं मिली।