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आउटलुक कॉनक्लेव में बोले विशेषज्ञ, किसानों की तकदीर बदल सकते हैं कॉपरेटिव

आउटलुक एग्रीकल्चर कॉनक्लेव एंड स्वराज अवॉर्ड्स का आगाज आज सिम्पोजियम हॉल, नेशनल एग्रीकल्चर साइंस...
आउटलुक कॉनक्लेव में बोले विशेषज्ञ, किसानों की तकदीर बदल सकते हैं कॉपरेटिव

आउटलुक एग्रीकल्चर कॉनक्लेव एंड स्वराज अवॉर्ड्स का आगाज आज सिम्पोजियम हॉल, नेशनल एग्रीकल्चर साइंस सेंटर (एनएएससी) कॉम्प्लेक्स, आईसीएआर में हो चुका है। इस दौरन सभागार में मौजूद देश के विभिन्न हिस्सों से आए किसान भाईयों के लिए 'किसानों के सशक्तिकरण में सहकारिता की भूमिका' विषय पर चर्चा की गई। इसमें विशेषज्ञ ने किसानों के लिए सहकारिता की भूमिका पर जोर दिया। इस दौरान आउटलुक के संपादक हरवीर सिंह ने कहा कि जब तक किसानों की आमदनी नहीं बढ़ेगी तब तक देश के विकास के बारे में नहीं सोचा जा सकता। किसानों की आय बढ़ाने में सहकारिता और एफपीओ की भूमिका को उन्होंने अहम बताया। 

बाजार में टिके रहने के लिए बड़ा प्लेयर होना जरुरी: वसुधा मिश्रा

सहकारिता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में एडिशनल सेक्रेटरी वसुधा मिश्रा ने कहा कि देश में ज्यादातर किसान छोटे जोत वाले हैं आज हर चीज बाजार तय करता है। बाजार में टिके रहने के लिए बड़ा प्लेयर होना जरुरी है। छोटे किसान कॉपरेटिव की मदद से बड़े प्लेयर बन सकते हैं। कॉपरेटिव और एफपीओ उन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच अपनी उपज की वाजिब कीमत दिलाने में मदद करता है।

किसान कॉपरेटिव के बिना मार्केटिंग और प्रोसेसिंग का काम नहीं कर सकते: आर.एस सोढी

वहीं,अमूल के एमडी आर.एस सोढी ने बताया कि बाजार का दिन पर दिन विस्तार होता जा रहा है लेकिन उसमें किसानों का हिस्सा कम होता जा रहा है। उन्हें जो फायदा मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता। इसके लिए जरूरी है कि किसान खेती के अलावा प्रोसेसिंग और मार्केटिंग खुद करें। करीब 80% छोटे जोत वाले किसान हैं। ये किसान कॉपरेटिव के बिना मार्केटिंग और प्रोसेसिंग का काम नहीं कर सकते। देश में जहां-जहां किसानों ने सहकारिता के माध्यम से मिलकर प्रोसेसिंग और मार्केटिंग की है उन किसानों के जीवनस्तर में काफी सुधार हुआ है।  

संदीप कुमार नायक

एनसीडीसी के एमडी संदीप कुमार नायक ने बताया कि कॉपरेटिव का मॉडल सफल हो इसके लिए जरूरी है कि जो किसान उसके सदस्य हैं वे जागरूक हों। संस्था में गवर्नेंस हो। तरीके से उनका संचालन हो इसके लिए लीडरशिप बेहद महत्वपूर्ण है। इस बात को ध्यान में रखते हुए एनसीडीसी कॉपरेटिव सिर्फ द्वितीय मदद ही मुहैय्या नहीं करा रहा बल्कि लीडरशिप और इंफ्रास्ट्रक्चर की डेवलपमेंट में भी मदद करता है।

डॉ टी. हक 

कृषि एवं लागत मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ टी. हक ने कहा कि ये सही है खेती स्वरूप संगठित हो तो छोटे किसानों को भी फायदा होता है। लेकिन बाजार के कारण उनके सामने कई तरह के खतरे भी हैं। इसके लिए जरूरी है कि कॉपरेटिव का दायरा नीचले स्तर तक यानी गांव तक पहुंचे। किसानों को सरकारी योजनाओं का असल तरीके से फायदा मिल पाए ये भी कॉपरेटिव के द्वारा संभव है लेकिन कॉपरेटिव में गवर्नेंस के लिए समय के साथ बदलाव की जरूरत है। 

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