केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि गंगा नदी को अविरल एवं निर्मल बनाने का कार्य प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है और उन्हें उम्मीद है कि मार्च 2019 तक 80 से 90 प्रतिशत काम पूरा हो जाएगा और इसके अच्छे परिणाम सामने आयेंगे।
गडकरी ने पीटीआई को बताया कि गंगा को निर्मल एवं अविरल बनाने के लिये नमामि गंगे परियोजना को आगे बढ़ाया जा रहा है। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत अब तक 14,127,49 करोड़ रूपये की लागत पर 97 आधारभूत परियोजनाओं को मंजूर किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस वर्ष मार्च के अंत तक विभिन्न परियोजनाओं पर काम शुरू कर दिया जायेगा। मार्च 2019 तक इसका 80 से 90 प्रतिशत काम पूरा होगा और इसके अच्छे परिणाम सामने आयेंगे।’’ मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, गंगा नदी की मुख्यधारा के किनारे 97 शहर चिन्हित किये गए हैं जो 3603 एमएलडी जलमल उत्पन्न करते हैं जबकि इन शहरों की वर्तमान जलमल शोधन क्षमता 1584 एमएलडी है।
पहले चरण में गंगा नदी की मुख्यधारा के किनारे 56 शहरों में 89 जलमल शोधन परियोजनाएं शुरू की गई है। इन परियोजनाओं से 1525 एमएलडी जलमल शोधन क्षमता सृजित होगी। इसके तहत शुरू की गई 89 परियोजनाओं में से 19 परियोजनाएं पूरी हो गई है जिनसे 172 एलएलडी शोधन क्षमता सृजित हुई है।
जल संसाधन मंत्रालय में सचिव उपेन्द्र सिंह ने बताया कि अभी 42 परियोजनाएं चल रही हैं और 28 परियोजनाएं निविदा के विभिन्न चरणों में है। इससे 1353 एमएलडी की अतिरिक्त शोधन क्षमता सृजित होगी।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारों द्वारा संचालित और अनुरक्षित 57 जलमल शोधन संयंत्रों का आकलन शुरू किया है।
अधिकारी ने बताया कि अपशिष्ट जल परिशोधन क्षेत्र में हाईब्रिड एन्यूटी के आधार पर सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत वाराणसी में 50 एमएलडी क्षमता के जलमल शोधन संयंत्र और हरिद्वार में 42 एमएलडी क्षमता के जलमल शोधन संयंत्र का कार्य आगे बढ़ाया गया है।
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन नये या प्रस्तावित जलमल शोधन संयंत्र के साथ शहर एवं कस्बे में मौजूदा परिशोधन आधारभूत ढांचे को एकीकृत करके हाईब्रिड एन्यूटी के आधार पर सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत ‘‘ एक शहर, एक आपरेटर’’ की संकल्पना को आगे बढ़ा रहा है।
‘‘एक शहर, एक आपरेटर’’ की संकल्पना के तहत परियोजनाओं के अगले चरण में इलाहाबाद में 72 एमएलडी क्षमता का जलमल शोधन संयंत्र, पटना में 150 एमएलडी क्षमता का जलमल शोधन संयंत्र, कोलकाता में 136 एमएलडी क्षमता का जलमल शोधन संयंत्र और कानपुर में 49 एमएलडी क्षमता का जलमल शोधन संयंत्र का विकास किया जायेगा।
अधिकारी ने बताया कि इन परियोजनाओं के लिये निविदा फरवरी 2018 में आमंत्रित की गई है।
उन्होंने बताया कि चुने हुए शहरों में घाटों के विकास का काम एवं शवदाह गृह निर्माण कार्य शुरू किये गए हैं और पांच राज्यों में विभिन्न स्थानों पर 615 करोड़ रूपये की लागत से 140 घाट परियोजनाओं और 64 शवदाहगृहों का कार्य चल रहा है और इनके दिसंबर 2018 तक पूरा होने की उम्मीद है।