शहनाई को भारतीय शास्त्रीय संगीत में उच्च दर्जा दिलाने वाले मशहूर शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खां को आज उनकी 102वीं जयंती पर सर्च इंजन गूगल ने एक शानदार डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी।
शहनाई वादन को विश्व विख्यात बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले बिस्मिल्ला खां को साल 2001 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। इससे पहले उन्हें साल 1980 में पद्म विभूषण, 1968 में पद्म भूषण, 1961 में पद्म श्री और 1956 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
बिहार के डुमरांव में एक पारंपरिक मुस्लिम परिवार में जन्मे बिस्मिल्ला खां का नाम कमरुद्दीन खां था और उन्हें यह नाम उनके दादा ने दिया। उन्होंने जब पहली बार कमरुद्दीन का चेहरा देखा तो उनके मुंह से अनायास ही 'बिस्मिल्ला' शब्द निकल पड़ा।
गूगल के ब्लॉग पोस्ट के मुताबिक, बिस्मिल्ला खां ने 14 साल की उम्र से ही शहनाई का हुनर दिखाना शुरू कर दिया था, लेकिन उन्हें पहचान साल 1937 में कोलकाता में ऑल इंडिया म्यूजिक कॉन्फ्रेंस से मिली। तीन दशक बाद उन्होंने एडिनबर्ग म्यूजिक फेस्टीवल में प्रस्तुति दी और शहनाई को वैश्विक मंच पर पेश किया। उन्होंने आजादी की पूर्व संध्या और पहले गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर शहनाई बजाई थी। यहां तक कि आज भी गणतंत्र दिवस समारोह का प्रसारण उनकी शहनाई की धुनों के साथ होता है।
बता दें कि गूगल का आज का डूडल चेन्नई के चित्रकार विजय कृष ने बनाया है। इसमें बिस्मिल्ला खां को शहनाई वादन करते दिखाया गया है। उस्ताद बिस्मिल्ला खां का 90 साल की उम्र में 21 अगस्त 2006 को निधन हो गया था।
आजादी के बाद, महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू जैसी शख्सियतों के सामने शहनाई बजाने वाले वह पहले भारतीय शहनाई वादक बने। 21 अगस्त 2006 में उनकी मृत्यु हो गई।