गूगल ने राजनीतिक विज्ञापनों के संबंध में अपनी नीति को सख्त बना दिया है। दरअसल अंदेशा है कि मतदाताओं को प्रभावित करने के इरादे से और गलत जानकारी फैलाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल हो सकता है, जिसके चलते इस तरह के प्लेटफॉर्म पहले से दबाव में हैं।
इंटरनेट कंपनी का कहना है कि उसके नियम किसी भी विज्ञापनदाता को गलत जानकारी देने से रोकते हैं चाहे वह विज्ञापनदाता राजनीति या किसी भी अन्य क्षेत्र से जुड़ा हो। लेकिन अब वह अपनी नीति को और अधिक स्पष्ट बना रही है और ऐसे उदाहरणों को शामिल कर रही है कि छेड़छाड़ की गयी तस्वीरों या वीडियो को किस प्रकार रोका जाए।
गूगल के विज्ञापन उत्पाद प्रबंधन के उपाध्यक्ष स्कॉट स्पेंसर ने एक ऑनलाइन पोस्ट में कहा, ‘‘किसी भी विज्ञापनदाता का गलत दावे करना हमारी नीतियों के खिलाफ है। चाहे वह किसी कुर्सी की कीमत का विज्ञापन हो, यह विज्ञापन हो कि आप टेक्स्ट मैसेज से मतदान कर सकते हैं या फिर चुनाव टल गया है या फिर ऐसा संदेश हो कि चुनाव में खड़े किसी उम्मीदवार की मौत हो गई है।’’
जिन विज्ञापनों को प्रतिबंधित किया जा सकता है उनमें ऐसे विज्ञापन शामिल हैं जो ऐसे गलत दावे करते हैं जिससे मतदाता का विश्वास कम होता हो या फिर चुनाव में उनकी भागीदारी पर असर पड़ता हो।
स्पेंसर ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि सुदृढ़ राजनीतिक संवाद लोकतंत्र का एक अहम हिस्सा है और कोई भी इस बारे में पुख्ता तौर पर यह नहीं जान सकता है कि हर राजनीतिक दावा, उसका विरोधी दावा या कटाक्ष सच्चे हैं या नहीं। इसलिए ऐसे विज्ञापन कम ही होंगे जिनके बारे में हम कोई कदम उठाएं। लेकिन जहां स्पष्ट उल्लंघन दिखेगा वहां पर हम जरूर फैसला लेंगे।’’