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सरकार को ‘जिद्दी रवैया’ छोड़ किसानों से बात करनी चाहिए : नरेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने मंगलवार को कहा कि केंद्र किसानों के साथ बात करनी...
सरकार को ‘जिद्दी रवैया’ छोड़ किसानों से बात करनी चाहिए : नरेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने मंगलवार को कहा कि केंद्र किसानों के साथ बात करनी चाहिए और आरोप लगाया कि सरकार का ‘‘अड़ियल रवैया’’ खतरनाक साबित हो सकता है।

किसान नेता ने आश्चर्य जताते हुए पूछा कि क्या किसान हमेशा आंदोलन ही करता रहेगा, रास्ता ही जाम करता रहेगा और दिल्ली कूच करता रहेगा?

मुजफ्फरनगर में पीटीआई-वीडियो से बात करते हुए टिकैत से किसानों की मांगों के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘अलग-अलग राज्यों की मांगें अलग-अलग हैं। क्या किसान हमेशा आंदोलन करता रहेगा, रास्ता ही जाम करता रहेगा, या दिल्ली कूच करता रहेगा? सरकार की भी कुछ जिम्मेदारी है। इस तरह के मामलों को संज्ञान लेने में क्या दिक्कत है? और यह जो ‘जिद्दी रवैया’ है, वह कहीं न कहीं घातक साबित हो रहा है। सरकार को (इन मुद्दों पर) सोचना चाहिए और किसानों से वार्ता करनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि भारतीय किसान यूनियन हमेशा किसानों के साथ है।

दिल्ली में सीमाएं सील होने पर उन्होंने कहा, ‘‘किसानों की बात अनसुनी कर दी जाती है, किसानों की जो भी बात है, वो सुनी जानी चाहिए। उन्हें रोकना किसी तरह की बहादुरी नहीं है।’’

विभिन्न संगठनों द्वारा प्रस्तावित 16 फरवरी के बंद के आह्वान पर टिकैत ने कहा कि स्कूल वैन, मरीजों को ले जाने वाले वाहनों और सैन्य वाहनों को जाने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि समस्याओं का समाधान बातचीत से किया जाना चाहिए।

किसान नेताओं और केंद्र के बीच बातचीत के बेनतीजा रहने के बाद मंगलवार को किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर बहुस्तरीय अवरोधक, कंक्रीट के अवरोधक, लोहे की कीलों और कंटेनर की दीवारें लगाकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

राष्ट्रीय राजधानी की तीन सीमाओं – सिंघु, टिकरी और गाजीपुर पर दंगा-रोधी वर्दी में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को अत्यधिक संख्या में तैनात किया गया है। एक अधिकारी ने कहा कि मार्च के मद्देनजर ‘‘कुछ स्थानों’’ पर अस्थायी जेल स्थापित की गई है।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने घोषणा की है कि किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के वास्ते कानून बनाने सहित अपनी मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए मंगलवार को दिल्ली कूच करेंगे।

सोमवार को पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से ट्रैक्टर-ट्रॉलियां विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए निकलीं।

दिल्ली पुलिस ने किसानों के मार्च के कारण व्यापक तनाव और ‘‘सामाजिक अशांति’’ के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में एक महीने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू कर दी है, जिसमें पांच या अधिक लोगों के इकट्ठा होने, जुलूस या रैलियों और लोगों को ले जाने वाली ट्रैक्टर ट्रॉलियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

विरोध मार्च से पहले दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में स्थानीय लोग और दुकानदार आर्थिक नुकसान और अन्य कठिनाइयों की आशंका से डरे हुए हैं।

किसान नेता फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी पर अड़े हुए हैं, जो उनकी प्रमुख मांगों में से एक है।एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस मामलों को वापस लेने की भी मांग कर रहे हैं।

 

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