राज्य का बजट सत्र शुक्रवार को शुरू हुआ। परंपरा के अनुसार राज्यपाल सरकार द्वारा तैयार भाषण विधानसभा में पढ़ते हैं। इसमें सरकार की उपलब्धियों और भावी योजनाओं की रूपरेखा होती है। लेकिन राज्यपाल तथागत रॉय ने इसके कुछ अंशों को नहीं पढ़ा। उन्होंने कहा, 'मैं दो पेज पढ़ चुका हूं और अब 95वें पैराग्राफ के बाद पढ़ूंगा।' वह बाकी का हिस्सा पढ़कर सदन से चले गए।
विपक्षी तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सदन में हंगामा किया। सुदीप रॉय बर्मन ने राज्यपाल से पूछा कि आपको पूरा भाषण क्यों नहीं पढ़ना चाहिए? इस तरह से भाषण पढ़ना परंपरा के अनुसार नहीं है। तृणमूल विधायक वेल में जाकर नारेबाजी करने लगे। लेकिन सत्तारूढ़ वाम मोर्चा के सदस्यों ने चुप्पी साधे रखी। मुख्यमंत्री माणिक सरकार भी कुछ नहीं बोले।
राज्यपाल द्वारा छोड़े गए हिस्से में देश में तनावपूर्ण सांप्रदायिक हालात और अल्पसंख्यकों एवं दलितों पर हमले जैसे मुद्दों का उल्लेख था। देश में असहिष्णुता बढ़ने और नोटबंदी की बात भी शामिल थी। साथ ही योजना आयोग को समाप्त करने से त्रिपुरा जैसे सीमित संसाधन वाले राज्यों को नुकसान होने का तर्क दिया गया था।