सरकार ने आठ दिसंबर को गेहूं पर आयात शुल्क को दस प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया था। घरेलू स्तर पर गेहूं की उपलब्धता बढ़ाने और खुदरा बाजार में इसके दाम पर अंकुश लगाने के ध्येय से सरकार ने यह कदम उठाया।
अब जबकि देश में 2016-17 फसल वर्ष (जुलाई से जून) में गेहूं की रिकार्ड 9.66 करोड़ टन पैदावार होने की उम्मीद की जा रही है नये गेहूं की आवक शुरू होने के साथ ही खुले बाजार में इसके दाम पर दबाव बढ़ाने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
पटनायक ने यहां उद्योग मंडल एसोचैम के एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, गेहूं पर आयात शुल्क लगाया जाये अथवा नहीं यह विचार-विमर्श के अंतिम चरण में है। मंत्रालय में इस मुद्दे पर विचार चल रहा है। प्रकिया जारी है।
इस समय मध्यप्रदेश में नये गेहूं की आवक शुरू हो गई है। दूसरे गेहूं उत्पादक राज्यों में इसकी आवक अभी शुरू होनी है।
गेहूं मूल्य के बारे में पूछे जाने पर सचिव ने कहा, इस समय दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर चल रहे हैं। सरकारी क्षेत्र का भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) किसानों के लिये एमएसपी सुनिश्चित करने के वास्ते बड़े पैमाने पर गेहूं की खरीदारी करेगा।
खाद्य मंत्रालय भी नई फसल की आवक पर नजदीकी से निगाह रखे हुये है। मंत्रालय ने गेहूं आयात पर प्रतिबंध को लेकर अभी अपने विचार व्यक्त नहीं किये हैं। खाद्य मंत्रालय फिलहाल कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पहले नई फसल और बाजार मूल्य का पूरी तरह आकलन करना चाहता है।
खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने पिछले माह कहा था, इस सरकार ने दाल दलहन के मामले में जिस प्रकार से उपाय कर यह सुनिश्चित किया कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त हो, गेहूं के मामले में भी इसी तरह के कदम उठाये जायेंगे और जरूरी हुआ तो आयात शुल्क बढ़ाने पर भी विचार किया जायेगा।
पासवान ने कहा, सीमा शुल्क में कमी लाने के दो महीने के भीतर ही 30 से 40 लाख टन गेहूं का आयात किया गया। चालू वित्त वर्ष के दौरान 55 लाख टन गेहूं का आयात किया जा चुका है।
गेहूं का उत्पादन इस साल बेहतर मानसून की बदौलत 9.66 करोड़ टन के नये रिकार्ड स्तर पर रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। पिछले साल इसका उत्पादन 9.23 करोड़ टन रहा था।
गेहूं का इससे पहले का रिकार्ड वर्ष 2013-14 में 9.58 करोड़ टन उत्पादन का है।
भाषा