सरकार बाल विवाह प्रतिबंध कानून में संशोधन करने पर विचार कर रही है। इस संशोधन के जरिये बाल विवाह की घटनाओं की रिपोर्ट देना अनिवार्य किया जाएगा। यह जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने दी है।
18 साल से कम उम्र की विवाहित लड़कियों के बीच गर्भाधान के अनेक मामले सामने आने पर पूछे गए एक सवाल में ईरानी ने यह जानकारी दी। 18 साल से कम उम्र की लड़कियों में गर्भ ठहरने के मामले करीब 21 फीसदी है जो बहुत ज्यादा हैं।
उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि इस मामले में हम राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ िमलकर ध्यान दे रहे है। एक समस्या यह है कि पॉक्सो (बाल यौन उत्पीड़न प्रतिबंध कानून) में जैसे किसी केस की रिपोर्ट करना अनिवार्य है लेकिन बाल विवाह के मामलों की रिपोर्ट करना अनिवार्य नहीं है।
ईरानी ने कहा कि हम एक्ट में संशोधन करने पर विचार कर रहे हैं। पॉक्सो में बाल यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट करना अनिवार्य है, इसलिए इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। बाल विवाह के मामले में जागरूकता काफी है। हम बाल विवाह प्रतिबंध कानून में इसी तरह का संशोधन करना चाहते हैं ताकि इस तरह के मामलों की रिपोर्ट अनिवार्य रूप से की जाए।
पॉक्सो के तहत बाल यौन उत्पीड़न की घटना पता चलने पर इसकी रिपोर्ट करना सभी के लिए अनिवार्य है। यह नियम माता-पिता, डॉक्टर और स्कूल स्टाफ सहित सभी लोगों पर लागू होता है।
देश में विवाह के लिए लड़कियों की उम्र 18 साल और लड़कों की 21 साल होना अनिवार्य है। 2011 की जनगणना पर आधारित एक अध्ययन के अनुसार देश में करीब 2.3 करोड़ बाल वधुएं हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 2015-16 के अनुसार 26.8 फीसदी लड़कियों का विवाह 18 साल की उम्र से पहले कर दिया जाता है। आंकड़ों के मुताबिक सर्वे के समय 15-19 वर्ष की उम्र की आठ फीसदी लड़कियां मां बन चुकी थीं अथवा गर्भवती थीं। अक्टूबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया था कि अवयस्क पत्नी के साथ संबंध बनाना बलात्कार माना जाएगा। 18 साल से कम उम्र की लड़कियां की सहमति भी मान्य नहीं होगी।