एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने सरकार से सहारनपुर के भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष के भाई की मौत और कथित तौर पर हत्या की जांच कराने को कहा है। एमनेस्टी ने कहा है, ‘उत्तर प्रदेश सरकार इस बात की जांच करे कि क्या सचिन वालिया की हत्या नफरत के कारण की गई है।‘
बुधवार को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष के भाई की गोली लगने से मौत हो गई। मृतक सचिन वालिया भीम आर्मी का मीडिया प्रभारी था।
एमनेस्टी के कार्यक्रम निदेशक असमिता बसु ने कहा, 'यूपी सरकार यह सुनिश्चित करे कि इस तरह के हमले फिर से न हों और राज्य में नफरत फैलाने वाले अपराध खत्म हों।'
एमनेस्टी ने कहा है कि पिछले साल इसी समय सहारनपुर जिले के दलितों ने जाति आधारित हमलों का सामना किया लेकिन इन हमलों के आरोपियों को अभी तक दंडिंत नहीं किया गया है। पिछले साल पांच मई को एक दलित की हत्या हुई थी और कम से कम 14 गंभीर रूप से घायल हो गए थे। ठाकुर और दलितों के बीच हुए संघर्ष में शब्बीरपुर गांव में ठाकुरों ने कम से कम 50 दलित घरों को आंशिक या पूरी तरह जला दिया था। यह विवाद दोनों समुदायों के बीच एक जुलूस को लेकर हुआ था।
गौरतलब है कि यूपी में सहारनपुर के रामनगर गांव में भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष कमल वालिया के भाई सचिन की गोली मारकर हत्या कर दी गई। विरोध में जिला अस्पताल की मोर्चरी पर भीम आर्मी के सैकड़ों कार्यकर्ता जुट गए और जमकर हंगामा किया। विरोध-प्रदर्शन के बीच अफवाहों का दौर शुरू हो गया है। मामले में चार लोगों को नामजद करते हुए हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। तनाव को देखते हुए शहर में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया और तनावपूर्ण हालात के चलते जिले में इंटरनेट सेवा अनिश्चितकाल के लिए बंद करा दी गई।
भीम आर्मी
ये संगठन सहारनपुर के 700 गांवों में एक्टिव है। 2013 में बनी भीम आर्मी दलितों को लीड करने का दावा करती है। इसका चीफ एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद है, जो फिलहाल जेल में है। दावा है कि हर गांव में भीम आर्मी के 8 से 10 युवा मेंबर है। ये सभी अपने सिर पर नीला कपड़ा बांधते हैं।