नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा की सफाई के लिए किए जा रहे प्रयासों पर असंतोष जताते हुए कहा कि स्थिति असाधारण रूप से खराब है और नदी की सफाई के लिए शायद ही कुछ प्रभावी काम किया गया हो। एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस एके गोयल के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा कि अधिकारियों के दावों के बावजूद गंगा के संरक्षण के लिए जो काम किए गए वे पर्याप्त नहीं हैं और स्थिति में सुधार के लिए नियमित निगरानी की जरूरत है।
एनजीटी ने गंगा के प्रदूषण को लेकर आम लोग क्या राय रखते हैं इसे जानने के लिए सर्वे कराने का निर्देश दिया। इस बारे में लोग संबंधित अधिकारियों को ईमेल से अपनी राय दे सकते हैं। बेंच, जिसमें जस्टिस जवाद रहीम और जस्टिस आएस राठौर भी शामिल हैं, ने कहा कि यह देश की सबसे प्रतिष्ठित नदी है और 100 करोड़ लोग इसका आदर करते हैं लेकिन हम इसकी रक्षा नहीं कर पा रहे हैं। बेंच ने कहा कि तंत्र को यथासंभव मजूबत और प्रभावी बनाने की जरूरत है।
इससे पहले एनजीटी ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमजीसी) की गोमुख और उन्नाव के बीच गंगा की सफाई के लिए उठाए गए कदमों की अनुपालन रिपोर्ट नहीं देने पर आलोचना की थी। एनजीटी ने गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए गोमुख से हरिद्वार और उन्नाव के बीच नदी के तट से 100 मीटर के दायरे को गैर निर्माण जोन घोषित किया था। साथ ही नदी तट से 500 मीटर के दायरे में कचरा डालने पर रोक लगाने का निर्देश भी दिया था।