हरियाणा के करनाल में बस्तर टोल प्लाजा पर शनिवार को किसानों पर पुलिस की कार्रवाई के बाद तीन कृषि कानूनों पर निकट भविष्य में किसानों के विरोध के कम होने की संभावना नहीं है। पुलिस की कार्रवाई में 10 किसान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसी कड़ी में हरियाणा और अन्य राज्यों में भविष्य की योजना पर किसानो की रविवार को मेवात जिले के नूंह में सोमवार को महापंचायत होने जा रही है। किसानों ने कहा कि हरियाणा सरकार ने शांतिपूर्ण विरोध कर रहे किसानों पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज कर अपनी असली रूप दिखाया है। केंद्र सरकार के इशारे पर किसान आंदोलन के दमन का प्रयास किया जा रहा है। किसान आंदोलन को और तेज करेंगे।
अखिल भारतीय किसान सभा के नेता हन्नान मुल्ला कहते हैं, "शनिवार को बिना उकसावे के लाठीचार्ज में 10 किसान घायल हो गए, जिससे विरोध तेज होने की उम्मीद है।" उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास हमेशा किसानों के मुद्दों को शांतिपूर्ण ढंग से उठाने का रहा है, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य को न्यूनतम मूल्य के रूप में अनिवार्य करने की आवश्यकता भी शामिल है। लेकिन अगर हम पर हमला होता है, जैसा कि अक्सर हरियाणा में राज्य सरकार के आदेशों के तहत देखा गया है, तो हमें अपना बचाव करना होगा।"
जय किसान आंदोलन के प्रवक्ता आशुतोष मिश्रा कहते हैं कि किसान पिछले नौ महीने से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं। शनिवार को किसानों ने शांतिपूर्वक विरोध करने और और मांगों का एक ज्ञापन प्रस्तुत करने की अनुमति मांगी थी लेकिन उन पर हमला कर दिया दिया गया जिस पर आंदोलन तेज होने की उम्मीद है।
मोल्ला कहते हैं, देश भर में फैले 500 समूहों की भागीदारी के साथ इस सप्ताह की शुरुआत में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने वाले किसान नेताओं ने कहा कि वे आंदोलन को अखिल भारतीय आंदोलन बनाने की योजना से पीछे नहीं हटने वाले हैं। हालांकि, उन्हें डर है कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर को प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन में एक और कार्रवाई हो सकती है "क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार स्पष्ट रूप से किसान आंदोलन के राजनीतिक नतीजों से सावधान हैं।"
किसान नेताओं ने कहा कि भाजपा सरकार कम्पनी की सरकार है। चंद पूजीपतियों के लाभ के लिए बनाये तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के बजाय किसानों का दमन करने में तुली है। किसान दमनात्मक रवैया बर्दाश्त नहीं करेंगे।