दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ विधायक कपिल मिश्रा की उस याचिका को सूचीबद्ध करने की मंजूरी दे दी है जिसमें कहा गया है कि विधानसभा में मुख्यमंत्री की 10 प्रतिशत से भी कम उपस्थिति रही है। हाईकोर्ट इस याचिका पर कल सुनवाई कर सकता है।
जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल एवं जस्टिस सी. हरिशंकर की अवकाशकालीन बेंच याचिका पर सुनवाई कर रही है। हाईकोर्ट में पेश की गई याचिका में कपिल मिश्रा ने दावा किया कि केजरीवाल, जो कि जल बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं वो 2017 में केवल सात बार विधानसभा उपस्थित रहे हालांकि तब विधानसभा के 27 सत्र दिन के सत्र हुए थे।
कपिल मिश्रा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के अलावा सीलिंग के मुद्दे पर आयोजित लगभग सभी विशेष सत्रों में अनुपस्थित रहे हैं। वे वहां सिर्फ दो घंटे के लिए ही मौजूद रहे। यह लोगों के मतदान का अपमान है। दिल्ली को हर साल जल संकट का सामना करना पड़ता है। अगर वे विधानसभा में नहीं आ रहे हैं तो उनका वेतन काटा जाना चाहिए।
याचिका में केजरीवाल की उपस्थिति सुनिश्चित करने और लोगों के सवालों के जवाब देने के लिए एलजी और स्पीकर को निर्देश देने की मांग की गई है। मिश्रा की याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि प्रश्नकाल के दौरान केजरीवाल पिछले 40 महीनों में विधानसभा में उपस्थित नहीं थे, जो यह दिखाता है कि मुख्यमंत्री दिल्ली के लोगों से संबंधित मामलों और उनके विकास और उनके द्वारा किए गए कर्तव्यों का प्रदर्शन करने में कितने गंभीर थे।