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मेट्रो स्टेशनों पर मुफ्त पानी और शौचालय क्यों नहीं, हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

हाई कोर्ट ने मेट्रो स्टेशनों के अंदर यात्रियों को मुफ्त में पीने का पानी और टॉयलेट की सुविधाएं मुहैया...
मेट्रो स्टेशनों पर मुफ्त पानी और शौचालय क्यों नहीं,  हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

हाई कोर्ट ने मेट्रो स्टेशनों के अंदर यात्रियों को मुफ्त में पीने का पानी और टॉयलेट की सुविधाएं मुहैया नहीं कराने पर डीएमआरसी को आड़े हाथों लेते हुए पूछा है कि क्या उसे मानवीय समस्याओं की समझ नहीं रह गई है? कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए मेट्रो से नौ मई तक जवाब मांगा है।

जस्टिस एस. रवींद्र भट और ए. के. चावला की पीठ  ने डीएमआरसी से कहा, 'क्या वह पानी और टॉयलेट की सुविधा मुहैया नहीं कराने की नीति पश्चिम से लेकर आई हैं? करोड़ों लोग मेट्रो में सफर करते हैं और यदि किसी को मेडिकल समस्या हो जाए, तो क्या होगा? वह कहां जाएगा? वह जब तक स्टेशन से बाहर आएगा, तब तक काफी देर हो चुकी होगी। आखिर इस नीति के पीछे कौन-सी सोच है?'

पीठ ने कहा, 'आप दुनिया में कहीं भी चले जाइए, मेट्रो स्टेशनों पर टॉयलेट्स होते हैं। लंदन में ट्रैफिक उतना ज्यादा नहीं है, जितना हमारे यहां है। आप आंकड़े दिखाइए और ये सुविधाएं मुहैया नहीं कराने के कारण बताइए। आप पिछले पिछले 14 साल से इसी नीति पर काम कर रहे हैं।' एकल पीठ के एक आदेश को चुनौती देने वाली कुश कालरा की अपील पर सुनवाई के दौरान डिवीजन पीठ ने यह टिप्पणी की। एकल पीठ ने आदेश दिया था कि मेट्रो में सफर करने वाले यात्री को मुफ्त में पीने का पानी पाने का अधिकार नहीं है। किसी व्यक्ति को पीने के पानी पाने का अधिकार है, लेकिन मुफ्त में नहीं है। कोर्ट ने मेट्रो से कहा है कि वह यात्रियों को मुफ्त में पीने का पानी मुहैया नहीं कराने की नीति से जुड़े दस्तावेज पेश करे।  

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