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दिल्ली में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, केंद्र ने कहा- वर्क फ्रॉम होम मुमकिन नहीं

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और दिल्ली से सटे एनसीआर में प्रदूषण से हालात बेकाबू हैं। इसी बीच आज प्रदूषण...
दिल्ली में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, केंद्र ने कहा- वर्क फ्रॉम होम मुमकिन नहीं

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और दिल्ली से सटे एनसीआर में प्रदूषण से हालात बेकाबू हैं। इसी बीच आज प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र ने हलफनामा दायर कर बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम मुमकिन नहीं है। वहीं, पंजाब ने बताया कि उसने पराली जलाने वाले किसानों पर 15 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया है।

आजतक की खबर के मुताबिक, सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने कहा कि पराली पर नियंत्रण के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा, पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं, लेकिन आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। ऐसे में पराली नियंत्रण पर केंद्र से वित्तीय सहायता की जरूरत है। इस दौरान पंजाब सरकार ने कहा कि केंद्र से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक ₹100/क्विंटल मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।  

प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने भी हलफनामा दायर कर बताया कि 29.61 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। 2021 में 18.74 लाख पराली निकली। सरकार ने बताया कि पराली जलाने वाले किसानों से 2.5 हजार रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है।

खबर के मुताबिक, प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने 392 पेज का हलफनामा दायर किया है। केंद्र ने इसमें बताया है कि वो अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम कराने के पक्ष में नहीं है। केंद्र ने कहा कि कोविड-19 के चलते पहले ही कामकाज प्रभावित हुआ है, इसलिए वर्क फ्रॉम होम मुमकीन नहीं है।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से हालात बेकाबू हैं। दिल्ली सरकार प्रदूषण के लिए पराली को बड़ा कारण बता रही है। वहीं,, पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने इन आरोपों पर पलटवार किया है। पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य क्रुनेश गर्ग ने कहा, दिल्ली में प्रदूषण में पराली का ज्यादा योगदान नहीं है। दिल्ली सरकार को स्थानीय प्रदूषण के सोर्स पर नियंत्रण करना चाहिए।

गर्ग ने सवाल उठाया कि पराली सिर्फ अक्टूबर और नवंबर में जलाई जाती है। वहीं, दिल्ली का एक्यूआई स्तर दिसंबर और जनवरी में भी उच्च पर रहता है, इसकी क्या वजह है? हालांकि, उन्होंने कहा, प्रदूषण पर इमरजेंसी मीटिंग का एजेंडा पराली जलाने पर रोक लगाना है।

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