हाईकोर्ट ने रोहिणी स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम पर महिलाओं-युवतियों को बंधक बनाने के आरोपी वीरेंद्र देव दीक्षित के ठिकानों के बारे में सीबीआई से रिपोर्ट मांगी है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ द्वारा नियुक्त पैनल की बहस में कोर्ट ने पाया कि वीरेंद्र देव दीक्षित युवतियों-महिलाओं को बंधक बनवाता था और परिजनों पर झूठे मुकदमे भी करा रहा था।
कोर्ट ने कहा कि परिजनों के खिलाफ झूठी शिकायतें इसलिए कराई जा रही थी, ताकि विश्वविद्यालय और संस्थापक के खिलाफ चल रहे मुकदमों को दबाया जा सके। वह किसी वास्तविक, वैध और प्रामाणिक आध्यात्मिक गतिविधि में हस्तक्षेप नहीं करेगा, लेकिन किसी भी धोखाधड़ी या अवैध गतिविधियों को नहीं चलने देगा। कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय का संचालन दीक्षित कर रहा था और उसके वकील की बहस पूरी तरह से झूठी है।
गैर सरकारी संस्था फाउंडेशन फॉर सोशल एम्पावरमेंट द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया था कि आध्यात्मिक शिक्षा के नाम पर किशोर लड़कियों को बंधक बनाया जा रहा है और उन्हें उनके परिजनों से भी नहीं मिलने दिया जा रहा है। पीठ ने इस मामले में सीबीआइ को विशेष जांच दल बना कर जांच करने के आदेश दिए थे। एसआइटी ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी, तभी से संस्थापक वीरेंद्र देव दीक्षित फरार है। मामले पर कोर्ट ने सीबीआई से पूरी रिपोर्ट देने को कहा है कि दीक्षित कहां है, उसका पूरा ब्यौरा दिया जाए।