कांग्रेस ने एक खबर का हवाला देते हुए बुधवार को कहा कि भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) को अडाणी समूह में निवेश करने वाले विदेशी फंड के स्वामित्व के संदर्भ में सभी जरूरी साधनों का उपयोग करना चाहिए।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने जिस खबर का हवाला दिया उसमें दावा किया गया है कि अडाणी समूह की कंपनियों में निवेश करने वाले कुछ अंतरराष्ट्रीय फंड ने गोपनीयता और विदेशी निजता कानूनों का हवाला देते हुए लाभकारी स्वामित्व के बारे में जानकारी साझा करने से इनकार किया है।
रमेश ने ट्वीट किया, ‘हम आशा करते हैं कि सेबी अडाणी समूह के खिलाफ लगे धनशोधन और प्रतिभूति संबंधी नियमों के उल्लंघन के गंभीर आरोपों के मद्देनजर इन फंड के लाभकारी स्वामित्व के बारे में स्पष्टता लाने के लिए सभी साधनों का उपयोग करेगा।’
उनका कहना है, ‘गोपनीयता और निजता का बहाना बनाकर जनहित की अनदेखी नहीं की जा सकती। इसी माध्यम से ही स्विस बैंक दशकों से बचते रहे हैं।’
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाने से संबंधित जी-20 की एक दशक पुरानी पहल को देखते हुए अगर मोदी सरकार वित्तीय शुचिता के ऊपर अपने मित्रवादी पूजीपतियों के हितों को चुनती है तो यह स्थिति दयनीय होगी।’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस स्थिति को देखते हुए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच और भी जरूरी हो जाती है।
अमेरिकी संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की कुछ महीने पहले आई रिपोर्ट में अडाणी समूह पर अनियमितता के आरोप लगाए गए थे और इसके बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर लगातार हमले कर रही है। अडाणी समूह ने सभी आरोपों को निराधार बताया था।