समाजसेवी अन्ना हजारे अगले साल फरवरी में किसानों की समस्याओं और लोकपाल को लेकर फिर से आंदोलन करेंगे। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि वह बताए कि देश में कितने उद्योगपतियों ने खुदकुशी की है। अन्ना ने कहा कि देश में पिछले 22 साल में करीब 12 लाख किसानों ने आत्महत्या की है।
ओडिशा के दौरे पर आए अन्ना ने भुवनेश्वर में आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकार उद्योगपतियों की हितैषी और किसानों की विरोधी है। उन्होंने कहा कि जब किसानों की मांग पूरी करने की बात आती है तो सरकार गूंगे-बहरे की तरह व्यवहार करने लगती है। अन्ना ने कहा कि जब मोदी प्रधानमंत्री बने थे उन्हें उम्मीद थी कि कुछ बदलाव आएंगे। यही कारण था कि वे तीन साल तक चुप रहे। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार किसानों से किए वादे पूरे करने में विफल रही। उन्होंने सवाल किया कि आपने खेती की लागत के डेढ़ गुणा को आधार बनाकर समर्थन मूल्य घोषित करने का वादा क्यों किया। उन्होंने कहा कि अब साफ हो गया है कि ये वादे सिर्फ किसानों का समर्थन हासिल करने के लिए किए गए थे।
अन्ना हजारे ने कहा कि अगर देश के किसान एकजुट हो जाएंगे तभी सत्ता में बैठे लोग उनकी बात सुनेंगे और उनसे बात करेंगे। उन्होंने किसानों से अपील की कि खुद पर हुए अन्याय के खिलाफ वे अपनी आवाज उठाएं। अन्ना ने कहा कि केंद्र सरकार लोगों से किए वादे पूरे करने में विफल रही है इसकी वजह से उन्होंने आवाज उठाने का फैसला किया है।
उन्होंने मोदी सरकार से सवाल किया कि वह चुनावी वादे के अनुसार काला धन वापस लाने के बाद लोगों के खाते में 15 लाख रुपये जमा करने में क्यों विफल रही। उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभाओं में नीतियां तय करते वक्त ग्राम सभा के विचारों को अहमियत नहीं दी जा रही है जबकि ग्राम सभा इन दोनों से ज्यादा महत्वपूर्ण है।