हैदराबाद के मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में सोमवार को नामपल्ली कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। 11 साल पहले 18 मई 2007 को एक दिल दहला देने वाली घटना को अंजाम देते हुए आतंकियों ने मक्का मस्जिद में धमाका किया था।
इस मामले की जांच में जुटी एनआईए टीम कोर्ट के समक्ष इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई है, जिसके चलते एनआईए की विशेष अदालत ने स्वामी असीमानंद समेत सभी 5 आरोपियों को रिहा कर दिया। इस मामले पर फैसला सुनाने के लिए आरोपी असीमानंद को नमापल्ली कोर्ट में लाया गया था। स्वामी असीमानंद इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक थे। एनआईए ने 2011 में यह मामला सीबीआई से अपने हाथों में लिया, जिसमें 10 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था।
कांग्रेस ने बीजेपी पर बोला हमला
कांग्रेस ने कोर्ट के इस फैसले के लिए बीजेपी पर हमला बोला है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने मक्का मामले में पांचो आरोपियों कि रिहाई पर कहा कि यह अब सरकार के विवेक पर निर्भर करता है कि वह किस तरह कोर्ट के आदेश का निरक्षण कर अब आगे किस तरह की अपील करती है। और जहां तक अदालत के फैंसले की बात हैं मैं कोर्ट के फैंसले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं।
पहले से ही ऐसे किसी फैसले की उम्मीद थी- आर.वी.एस मनी
वहीं, इससे पहले मक्का ब्लास्ट में सभी आरोपियों कि रिहाई को लेकर पूर्व गृह सचिव आर.वी.एस मनी का कहना है कि मुझे पहले से ही ऐसे किसी फैसले की उम्मीद थी। मनी ने कहा कि इम मामले से जुड़े सभी सबूत से छेड़खानी की गई थी और आरोपियों को जानबूझकर फंसाने की कोशिश की गई थी। उन्होंने कहा कि इस मामले में भगवा आतंकवाद जैसी कोई भी चीज नहीं थी।
जांच एजेंसी का दुरुपयोग कर फंसाने की कोशिश
इसके साथ ही, पूर्व गृह सचिव ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर बिना नाम लिए आरोप लगाया कि उस ब्लास्ट के बाद कुछ लोगों ने साजिश कर एनआईए जैसी जांच एजेंसी का दुरुपयोग कर उन लोगों को फंसाने की कोशिश की गई थी। मनी ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि इस ब्लास्ट में मारे गए लोगों और उनके रिश्तेदारों को कांग्रेस या कोई और अब कैसे इसकी भरपाई करेगा।
कोर्ट के फैसले की पूरी कॅापी पढ़ने के बाद ही करेंगे टिप्पणी- एनआईए
वहीं मक्का ब्लास्ट मामले में पांचो आरोपियों को रिहा करने पर एनआईए ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले की पूरी कॅापी पढ़ने के बाद ही इस पर कोई टिप्पणी करेंगे। एनआईए का कहना है कि हम अभी कोर्ट के फैंसले की कॅापी का इंतजार कर रहे हैं और कॅापी आने के बाद ही हम इस मामले में आगे की कार्रवाई करेंगे।
कब हुआ था धमाका?
18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान हैदराबाद की मक्का मस्जिद में एक ब्लास्ट हुआ था। इस धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 58 लोग घायल हुए थे। इस घटना के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए हवाई फायरिंग की थी, जिसमें पांच और लोग मारे गए थे। इस घटना में 160 चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे।
ये थे आरोपी
जांच के बाद इस घटना को लेकर 10 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें अभिनव भारत के सभी सदस्य शामिल थे। स्वामी असीमानंद सहित, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा उर्फ अजय तिवारी, लक्ष्मण दास महाराज, मोहनलाल रतेश्वर और राजेंद्र चौधरी को मामले में आरोपी घोषित किया गया था। दो आरोपी रामचंद्र कालसांगरा और संदीप डांगे अभी फरार हैं। एक प्रमुख अभियुक्त और आरएसएस के कार्यवाहक सुनील जोशी को जांच के दौरान ही गोली मार दी गई थी।
कौन है स्वामी असीमानंद
स्वामी असीमानंद एक पूर्व आरएसएस कार्यकर्ता थे। उन्हें मक्का मस्जिद विस्फोट के सिलसिले में 19 नवंबर, 2010 को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने लिखित तौर पर कहा था कि अभिनव भारत के कई सदस्यों ने मस्जिद में बम विस्फोट की साजिश रची थी। बाद में स्वामी असीमानंद को 23 मार्च 2017 को जमानत दे दी गई।
असीमानंद को अजमेर ब्लास्ट केस में पहले से ही बरी कर दिया गया था। साथ ही मालेगांव और समझौता धमाके में भी उन्हें पहले ही जमानत दी जा चुकी है।
All accused in Mecca Masjid blast case have been acquitted by Namapally Court #Hyderabad pic.twitter.com/EzHgvnlGXD
— ANI (@ANI) April 16, 2018