प्रधान न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने कानून से जुड़े कई सवालों पर यह फैसला दिया है। इसमें एक सवाल यह भी था कि क्या दोषी को एक या उससे अधिक मामलों में एक से ज्यादा बार उम्र कैद की सजा दी जा सकती है।
पीठ में न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला, ए.के. सीकरी, एस.ए. बोबडे और आर.भानुमति भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि निचली और उच्च अदालतें किसी मामले के दोषी को उम्रकैद के साथ-साथ निश्चित अवधि की सजा भी सुना सकती हैं। इसमें दोषी से पहले निश्चित अवधि की सजा और फिर उम्र कैद की सजा काटने को कहा जा सकता है। यह फैसला कुछ याचिकाओं के आधार पर आया है। इन्हीं में से एक मामला ए मुथु रामालिंगम का था, जिसमें उन्होंने एक मामले में दी गई सजा के बारे में पूछा था कि ये सजाएं साथ-साथ भुगती जा सकती हैं या इन्हें एक के बाद एक भुगतना होगा।