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आईआईएमसी में यज्ञ करवा के घिरे महानिदेशक

एक धर्मनिरपेक्ष देश के सरकार संचालित संस्‍थान में किसी कार्यक्रम से पहले यज्ञ के आयोजन को लेकर आलोचना स्वाभाविक है मगर इस आलोचना का भारतीय जनसंचार संस्‍थान के मुखिया पर कोई असर नहीं है।
आईआईएमसी में यज्ञ करवा के घिरे महानिदेशक

 संस्‍थान के महानिदेशक के.जी. सुरेश ने अपने इस कदम का बचाव किया है। उन्होंने यज्ञ का बचाव करते हुए कहा है कि उन्हें किसी से धर्मनिरपेक्षता सीखने की जरूरत नहीं है। यज्ञ के अलावा छत्तीसगढ़ के बस्तर के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एसआरपी कल्लूरी को इस कार्यक्रम में आमं‌त्रित करने पर भी सुरेश की आलोचना हो रही है। आईआईएमसी छात्रों के एक गुट ने इन दोनों घटनाओं की आलोचना करते हुए संस्‍थान के बाहर विरोध प्रदर्शन किया मगर बड़ी संख्या में तैनात पुलिस कर्मियों ने उन्हें संस्‍थान में प्रवेश नहीं करने दिया। इन छात्रों को जेएनयू के छात्रों का भी समर्थन मिला। गौरतलब है कि आईआईएमसी जेएनयू परिसर के बगल में ही स्थित है।

कल्लूरी को बुलाने के बारे में के.जी. सुरेश ने कहा, ‘कल्लूरी को क्यों नहीं बुलाया जाना चाहिए? वो पत्रकारों के बीच आ रहे हैं और पत्रकारों के पास उनसे सवाल पूछने का मौका है।’ गौरतलब है कि बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक रहने के दौरान कल्लूरी पर नक्सलियों के निबटने के नाम पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगे थे और मीडिया का एक हिस्सा और मानवाधिकार कार्यकर्ता लगातार उनका विरोध करते रहे हैं।

आईआईएमसी में आज ‘नेशनल जर्नलिज्म इन द करंट पर्सपैक्टिवः मीडिया एंड मिथ’ विषय पर सेमीनार का आयोजन किया था और इससे पहले दो घंटे लंबे यज्ञ का आयोजन किया गया। जब इस आयोजन की घोषणा की गई थी तभी से इसे लेकर आलोचनाएं भी जारी थीं और सोशल मीडिया पर इसका काफी विरोध भी हुआ। सुरेश ने इन आलोचनाओं पर कहा कि उन्हें किसी से धर्मनिरपेक्षता सीखने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में अलग-अलग धर्मों के लोग अपने रिवाजों का पालन करते रहे हैं और इस संस्‍थान में भी इसकी अनुमति दी जाती रही है। ऐसे में यज्ञ पर विवाद उठाना बेकार है। (एजेंसी)

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