एक धर्मनिरपेक्ष देश के सरकार संचालित संस्थान में किसी कार्यक्रम से पहले यज्ञ के आयोजन को लेकर आलोचना स्वाभाविक है मगर इस आलोचना का भारतीय जनसंचार संस्थान के मुखिया पर कोई असर नहीं है।
भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) दिल्ली इन दिनों एक सेमिनार को लेकर विवादों में है। 20 मई को होने वाले इस सेमिनार में पत्रकारिता के मौजूदा हालात पर चर्चा होगी। विवाद का मुद्दा यहां सेमिनार से पहले आईआईएमसी परिसर में होने वाला सामूहिक यज्ञ है। इसे लेकर छात्र समर्थन और विरोध में बंटे नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नववर्ष की पूर्व संध्या पर खेद जताते हुए प्रतीत हुए क्योंकि नोटबंदी पर 50 दिनों का उनका शुद्धि यज्ञ जंगल की बेकाबू आग में तब्दील हो गया है, जिसमें कई लोगों की जान जा चुकी है और अर्थव्यवस्था पंगु हो गई है।
नरेंद्र मोदी चुनावी चुनौतियों को विजय यात्रा के रूप में मानते रहे हैं। उनके आत्मविश्वास और दिन-रात अभियान चलाने की क्षमता का लोहा उनके सहयोगी ही नहीं विरोधी तक मानते हैं। वह 2014 से निरंतर चुनावी सभाओं को संबोधित करते रहे हैं। चुनावी अश्वमेघ यज्ञ के लिए घोड़ा तैयार कर वह अखिल भारतीय स्तर पर एक ही अभियान में एकछत्र राज का प्रयास भी करना चाहते हैं।
अब आप हमारे ही घर में हमें पचास एकड़ में सिमट जाने पर बाध्य कर रहे हैं। पचास एकड़ की भीख हमें मंजूर नहीं है। हम आपके हाथ का खिलौना बनने से इंकार करते हैं, आपके अश्वमेध यज्ञ का घोडा बनने से इंकार करते हैं। हमारे नाम पर हिन्दू वोट कंसोलिडेट करना बंद करो। हम अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे।