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IIT कानपुर की नई पहल, ‌किया हिंदू धार्मिक ग्रंथों का ‌डिजिटलाइजेश्‍ान

देश की सबसे बेहतरीन संस्थानों में से एक इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (आईआईटी) कानपुर ने हिंदू...
IIT कानपुर की नई पहल, ‌किया हिंदू धार्मिक ग्रंथों का ‌डिजिटलाइजेश्‍ान

देश की सबसे बेहतरीन संस्थानों में से एक इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (आईआईटी) कानपुर ने हिंदू पवित्र ग्रंथों के डिजिटलाइजेशन की अनोखी प्रक्रिया शुरू की है। इसके तहत हिंदू ग्रंथ और पुराण ऑडियो और टेक्स्ट के रूप में यहां उपलब्ध रहेंगे।

आईआईटी कानपुर यह अनोखी शुरुआत करने वाला देश का पहला इंजिनियरिंग कॉलेज बन गया है। यह सेवा कॉलेज के आधिकारिक पोर्टल पर शुरू की गई है, जहां पर www.gitasupersite.iitk.ac.in का लिंक दिखाई देता है। इसके तहत श्रीमद्भगवतगीता, रामचरितमानस, ब्रह्मसूत्र, योगसूत्र, श्रीराम मंगल दासजी, नारद भक्ति सूत्र को अपलोड किया गया है। साथ ही, वाल्मीकि रामायण के कुछ प्रसंग को  भी यहां अपलोड किया गया है।

प्रोफेसर बोले- आलोचनाओं की परवाह नहीं

इस बीच आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर महेंद्र अग्रवाल और यहां कम्प्यूटर साइंस ऐंड इंजिनियरिंग के प्रफेसर टी वी प्रभाकर ने कॉलेज में हिंदू धार्मिक ग्रंथों के डिजिटलाइजेशन पर विवाद की खबर को खारिज कर दिया। प्रभाकर ने कहा, 'सभी अच्छी चीजों की आलोचना होती है। इतने महान और धार्मिक कार्य के लिए धर्मनिरपेक्षता पर सवाल नहीं उठाए जा सकते हैं।'

24,000 प्रति दिन पेज व्यू

इस साइट को इंस्टिट्यूट की फैकल्टी व सरकार द्वारा सहायता प्राप्त रिसोर्स सेंटर फॉर इंडियन लैंग्वेज टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन ने तैयार किया है। इसमें संस्कृत में लिखी जानकारियों को 11 भाषाओं में ट्रांसलेट किया गया है, जिसमें असम व उड़िया भाषाएं भी शामिल हैं। साइट से जुड़े प्रोफेसर्स का कहना है कि पहले इस वेबसाइट का ट्रैफिक रोजाना 500-600 रहता था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से 24,000 प्रति दिन पेज व्यू आ रहा है। इसके अलावा व्हाट्सऐप ग्रुप पर भी इस वेबसाइट के यूआरएल को काफी सर्कुलेट किया जा रहा है।

 

 

 

 

 

प्रोफेसर ने डिजाइन किया वेबसाइट 

प्रोफेसर टीवी प्रभाकर ने इस वेबसाइट का डाटाबेस डिजाइन किया है। उनका कहना है कि दस साल पहले जब इस वेबसाइट को तैयर किया गया था, तो इसका उद्देश्य भारत के पौराणिक झान को कंप्यूटर के जरिए लोगों तक पहुंचाने का था। उस वक्त इस वेबसाइट की इतनी चर्चा नहीं हुई थी, जितनी आजकल हो रही है। उनका भी कहना है कि सोशल मीडिया व व्हाट्सऐप के माध्यम से इस वेबसाइट का यूआरएल वायरल हो रहा है।

भगवदगीता का अंग्रेजी में ऑडियो ट्रांसलेशन करने का काम बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र के विशेषज्ञों तथा संस्कृत अनुवाद स्वामी ब्रह्मानंद ने किया है। इसी तरह अवधी में लिखे रामचरितमानस के अनुवाद के लिए आईआईटी गुवाहाटी के फैकल्टी मेंबर देव आनंद पाठक को चुना गया है।

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