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गुरुग्राम सीट पर निर्दलीय पार्टी प्रत्याशियों को देते आए हैं मात, त्रिकोणीय मुकाबला बना रोचक

गुरुग्राम विधानसभा चुनाव का प्रचार अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है। गुरुग्राम विधानसभा सीट पर भी...
गुरुग्राम सीट पर निर्दलीय पार्टी प्रत्याशियों को देते आए हैं मात, त्रिकोणीय मुकाबला बना रोचक

गुरुग्राम विधानसभा चुनाव का प्रचार अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है। गुरुग्राम विधानसभा सीट पर भी घमासान मचा हुआ है। बीजेपी-कांग्रेस के साथ ही भाजपा से बागी होकर चुनावी रण में उतरे नवीन गोयल ने मुकाबला रोचक बना दिया है।

बीजेपी ने ब्राह्मण चेहरे मुकेश शर्मा तो कांग्रेस ने पंजाबी कार्ड खेलते हुए मोहित ग्रोवर पर दांव लगाया है। इस सीट पर 13 चुनाव में से 2 बार निर्दलीय ने जीत हासिल की है। इस सीट पर निर्दलीय के चलते कांग्रेस-बीजेपी को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।

वहीं, यह चुनाव इस बार पूरी तरह जातिगत आधार पर बदलता नजर आ रहा है। बीजेपी ने ब्राह्मण चेहरे पर तो कांग्रेस ने पंजाबी चेहरे पर दांव लगाकर जातिगत समीकरण का फायदा उठाने की कोशिश की है। वहीं बीजेपी की ओर से टिकट की रेस में चल रहे नवीन गोयल का जब टिकट कट गया तो निर्दलीय चुनावी रण में उतर गए। इस सीट से 2 बार निर्दलीय चुनाव जीतने के साथ ही सरकार का हिस्सा भी बने। 2000 में गोपीचंद गहलोत निर्दलीय चुनाव जीतकर डिप्टी स्पीकर बने तो 2009 में सुखबीर कटारिया निर्दलीय चुनाव जीतने उपरांत हुड्डा सरकार में खेल मंत्री बने। इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए नवीन गोयल अपने कदम मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं। इससे कांग्रेस-बीजेपी में खलबली मची हुई है।

वैश्य समाज से ताल्लुक रखने वाले नवीन गोयल बीजेपी के मूल कैडर वोटर्स को अपने पाले में करने का कोशिश कर रहे हैं। पिछले दो चुनाव 20014, 2019 में यहां से क्रमश : बीजेपी के वैश्य प्रत्याशी उमेश अग्रवाल व सुधीर सिंगला विधायक का चुनाव जीते थे। इसी के चलते वैश्य समाज से उनका पलड़ा है। वहीं ब्राह्मण समाज अपने विधायक के लिए महापंचायत तक कर चुके थे। बीजेपी ने इस बार मूल कैडर वोट बैंक वैश्य समाज की अनदेखी की। इसके पीछे पार्टी की यह भी सोच हो सकती है कि मूल कैडर वोट उनको छोड़ नहीं सकता है। बीजेपी के दलित नेता सुमेर सिंह तंवर के जरिए दलित वोट तो अनुराधा शर्मा के माध्यम से ब्राह्मण समाज को साध लिया है।

गुरुग्राम सीट पर सर्वाधिक वोटर 1 लाख पंजाबी है, वहीं जाट, ब्राह्मण, वैश्य करीब 40 से 50 हजार के करीब है। कांग्रेस प्रत्याशी मोहित ग्रोवर ने अपना पूरा जोर अपनी ही बिरादरी पर लगा रखा है। नवीन वैश्य व कुछ पंजाबी नेताओं के माध्यम से पंजाब वोट अपने पाले में करने में लगे हैं। बीजेपी के मुकेश शर्मा के लिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, नितिन गडकरी, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी व प्रदेश के पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर सभा कर चुके हैं। बीजेपी को उम्मीद है कि आखिरकार में उसके वोटर्स उसके पाले में आ जाएंगे। हालांकि बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में ना तो संगठन ना ही संघ के लोग अभी तक खुलकर सामने नहीं आए हैं।

बीजेपी प्रत्याशी ब्राह्मण समाज के साथ ही पार्टी के वोट बैंक व बड़े चेहरों के दम पर चुनाव जीतने का दावा ठोंक रहे हैं। हालांकि 10 साल के बीजेपी सरकार की एंटी इनकम्बैंसी उनकी राह में रोड़ा बनती नजर आ रही है। कांग्रेस के मोहित ग्रोवर पंजाबी वोट व 2019 के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहने के चलते जीत का दंभ भर रहे हैं। हालांकि प्रदेश में कांग्रेस का माहौल पॉजिटिव नजर आ रहा है लेकिन 2019 के चुनाव बाद व लोकसभा चुनाव में निष्क्रिय रहना उनके लिए भारी पड़ सकता है। निर्दलीय नवीन गोयल 11 साल से बीजेपी से जुड़े हैं और सामाजिक कार्यों के साथ ही लोगों की बुनियादी सुविधाओं की लड़ाई लड़ते आए हैं।

1967 से 2019 तक हुए 13 चुनाव में सर्वाधिक 6 बार कांग्रेस  ने गुरुग्राम का रण जीता है। वहीं बीजेपी 3 बार तो निर्दलीय 2 बार, 1-1 बार  भारतीय जनसंघ व जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी। निर्दलीय की बात करें तो 2000 के चुनाव में गोपीचंद गहलोत तो 2009 में सुखबीर कटारिया निर्दलीय चुनाव लड़कर यहां से जीत हासिल कर चुके हैं।

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