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भारत, अमेरिका साझेदार हैं, सहयोगी नहीं : मेनन

पूर्व विदेश सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके शिवशंकर मेनन का कहना है कि भारत और अमेरिका के संबंधों की बेहतर व्याख्या सहयोगी नहीं बल्कि बराबर के भागीदार के तौर पर की जा सकती है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच नौवहन सुरक्षा और रक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में अभूतपूर्व सहयोग है।
भारत, अमेरिका साझेदार हैं, सहयोगी नहीं : मेनन

मेनन ने पीटीआई भाषा से कहा मैं यह नहीं कहूंगा कि हम उनके (अमेरिका) खेमे में हैं या (अमेरिका के) सहयोगी हैं। मेरे विचार से, मैं हमेशा से भागीदार (शब्द का) का उपयोग करता आया हूं। यह भागीदारी है जो उत्तरोत्तर बढ़ी है। हमने संबंधों में बदलाव किया है। लेकिन यह दोनो तरफ से रहा है। पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मेनन की सेवानिवृत्ति के पश्चात पहली किताब च्वाइसेज : इनसाइड द मेकिंग ऑफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी अगले सप्ताह बुक स्टोर्स में पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में एक के बाद एक कर सरकारों ने संबंधों को आगे ले जाने के लिए अपने अपने तरीके से प्रयास किए हैं।

मेनन ने कहा तत्कालीन प्रधानमंत्री (अटल बिहारी) वाजपेयी के नेतृत्व वाली पहली राजग सरकार ने रणनीतिक साझेदारी में अगला कदम उठाया जिससे रक्षा और अंतरिक्ष में सहयोग के और विभिन्न तरह के सहयोग के रास्ते खुले। उन्होंने कहा संप्रग सरकार ने असैन्य परमाणु समझौता किया जिससे बड़ी बाधा दूर हुई तथा भारत और अमेरिका के रिश्तों के बारे में सोच में बदलाव आया। अब राजग सरकार, वर्तमान सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए एशिया प्रशांत में संयुक्त दृष्टिकोण बयान दिया। मेनन ने कहा इसलिए आज हमारे बीच गहरी भागीदारी है। लेकिन यह भागीदारी है।

तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान मेनन ने पहले तो विदेश सचिव के तौर पर और फिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहते हुए भारत अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी। पूर्व शीर्ष भारतीय राजनयिक ने कहा कि भागीदारी ऐसी नहीं है जैसी आम तौर पर अमेरिका के साथ हुआ करती थी। और हमें भारत में भी बहुत करीबी भागीदारी बनानी होगी। यह हम दोनों के लिए नया है। मेनन ने कहा कि अमेरिका ऐसे सहयोगी रखता रहा है जो या तो उसका अनुसरण करते हैं या उसके मुताबिक चलते हैं। भागीदार समान होते हैं। और भागीदार अलग अलग चीजों को सामने लाते हैं और फिर उस पर मिलकर काम करते हैं। मेरे विचार से हम यह सीख रहे हैं कि इसे कैसे किया जाता है। उन्होंने कहा उदाहरण के लिए अगर आप नौवहन सुरक्षा, आतंकवाद की रोकथाम, खुफिया क्षेत्र को राष्ट्रीय सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं को, रक्षा सहयोग को और डीटीटीआई को देखें तो इनमें से कई चीजें अभूतपूर्व हैं। लेकिन हम सीख रहे हैं कि भागीदारी कैसे बनाई जाती है।

पूर्व विदेश सचिव ने कहा हम उस स्थिति में हैं जहां भागीदारी, संबंध पहले की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर हैं लेकिन अभी भी लंबा रास्ता तय करना है। कई चीजें की जानी हैं। ओबामा प्रशासन के आठ वर्ष के बारे में एक सवाल के जवाब में मेनन ने कहा कि संबंध आगे बढ़े हैं और उन्होंने इस पर कड़ी मेहनत की है।

मेनन ने कहा यह दिलचस्प है। हम आगे बढ़े हैं, हमें अहसास है कि कई चीजें की जानी हैं। आज व्यापार, आर्थिक पक्ष, आईपीआर या फर्मा क्षेत्र में, बाजार पहुंच के लिए, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन आदि में बड़ी चीजें की जानी हैं जहां न केवल बड़ी चुनौतियां बल्कि बड़े अवसर भी हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों को अमेरिका की तरफ से समर्थन भी है।

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