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एलएसी पर बरकरार गतिरोध के बीच भारत-चीन आज फिर करेंगे बातचीत

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी गतिरोध के बीच भारत-चीन में वर्किंग मैकेनिज्म ऑफ...
एलएसी पर बरकरार गतिरोध के बीच भारत-चीन आज फिर करेंगे बातचीत

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी गतिरोध के बीच भारत-चीन में वर्किंग मैकेनिज्म ऑफ कोऑपरेशन एंड कोऑर्डिनेशन (डब्ल्यूएमसीसी) को लेकर बातचीत गुरुवार को यानी आज होने जा रही है। सैन्य स्तर की पांच दौर की बातचीत में बनी सहमति के बावजूद चीनी सेना पैंगोंग समेत कई इलाकों से पीछे नहीं हटने की जिद पर अड़ी है।

सीमा पर मौजूदा हालात के मद्देनजर इस बातचीत से आगे का रास्ता निकलने की उम्मीद जताई जा रही है। दोनों देशों के विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी फोन व वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत कर गतिरोध खत्म करने पर फैसले लेंगे।

पूर्वी लद्दाख में गलवां घाटी, हॉट स्प्रिंग, पैंगोंग त्सो और डेपसांग में चीनी घुसपैठ के बाद यह डब्ल्यूएमसीसी की चौथी बातचीत होगी। दोनों देशों के बीच बातचीत का यह मंच सैन्य और कूटनीतिक स्तर की बातचीत का एजेंडा तय करता है। इसके बाद कोर कमांडर की छठी दौर की बातचीत का फैसला होगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक चीन की हठधर्मिता के जबाव में भारत पहले बातचीत के सभी विकल्प का इस्तेमाल करना चाहता है। 

बता दें कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध खत्म करने की कोर कमांडर स्तर की बातचीत की कोशिश नाकाम होने के बाद डेपसांग पर मेजर जनरल स्तर की बातचीत भी बेनतीजा रही। यह बातचीत दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि एनएसए अजीत डोभाल और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच तय एजेंडे के आधार पर हुई थी। पिछले हफ्ते चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने वहां के सेना और राजनीति के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात कर भारत का पक्ष रखा।

सूत्रों के मुताबिक हालांकि वहां भी चीनी अधिकारियों ने मौजूदा हालात के लिए भारत को ही जिम्मेदार ठहराया। लेकिन आगे के तकनीकि मामलों पर बातचीत के लिए सहमति जताई। भारत ने अपना पक्ष साफ करते हुए कह दिया है कि चीन जब तक एलएसी पर पूरी तरह पीछे हटकर मार्च-अप्रैल वाली स्थिति में नहीं चला जाता, तब तक भारतीय सेना सामने डटी रहेगी। भारत किसी भी हालत में पूरी तरह पीछे हटने की स्थिति से कम में नहीं मानेगा। दो दिन पहले चाइना स्टडी ग्रुप ने भी एलएसी पर मौजूदा हालात के मद्देनजर आगे की रणनीति पर लंबी मंत्रणा की है।

 

 

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