पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के लिए शुक्रवार को सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इस कदम से भारत ने खुद को 'अलग-थलग' कर लिया है। देश और विदेश में इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों की ‘लंबी फेहरिस्त’ है। कानून पारित होने के बाद भारत को लेकर नजरिया बदला है।
एक कार्यक्रम में मेनन ने कहा कि कई विद्वानों ने विवादित कानून के लागू होने के बाद इसके प्रतिकूल असर पर चर्चा की। मेनन ने कहा, ‘इस कदम से भारत ने खुद को अलग-थलग कर लिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी इसके आलोचकों की लंबी फेहरिस्त है। पिछले कुछ महीने में भारत के प्रति नजरिया बदला है। यहां तक कि हमारे मित्र भी हैरान हैं।’
'अकेले जाना कोई विकल्प नहीं है'
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा, ‘हाल के दिनों में हमने जो हासिल किया वह हमारी (भारत की) मौलिक छवि को पाकिस्तान से जोड़ता है, जो एक असहिष्णु देश है।" उन्होंने कहा कि दुनिया पहले क्या सोचती थी इसके बजाय हमारे लिए वह अधिक मायने रखता है कि अब क्या सोचती है। उन्होंने कहा कि भागीदारी नहीं करना या अकेले जाना कोई विकल्प नहीं है।
'यह कदम किसी के लिए अच्छा नहीं है'
उन्होंने कहा, ‘लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सीएए जैसे कदम से हम खुद को दुनिया से काटने और अलग-थलग करने की ठान चुके हैं। यह किसी के लिए भी अच्छा नहीं है।' उन्होंने कहा, "जो लोग सोचते हैं कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों को लागू नहीं किया जा सकता है, उन्हें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के उल्लंघनकर्ता के रूप में राजनीतिक और अन्य परिणामों पर विचार करना चाहिए।" कार्यक्रम में जोया हसन, नीरजा जयाल और फैजान मुस्तफा आदि ने भी विचार व्यक्त किए।