पिछले काफी समय से कश्मीर पर जारी तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान के अधिकारी आज यानी शुक्रवार को करतारपुर कॉरिडोर प्रोजेक्ट को लेकर बातचीत करेंगे। पाकिस्तान ने कहा है कि करतारपुर कॉरिडोर खोलने पर ये तकनीकी बैठक आज जीरो प्वाइंट पर होगी। जीरो प्वाइंट वो बिंदु है, जहां कॉरिडोर का भारतीय हिस्सा और पाकिस्तानी हिस्सा मिलेंगे।
करतारपुर साहिब कॉरिडोर को लेकर सरकार प्रतिबद्ध
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैजल ने कहा कि पाकिस्तान करतारपुर साहिब गलियारे को पूरा करने और इसका उद्घाटन करने को लेकर प्रतिबद्ध है। पाकिस्तान के प्रस्ताव से भारत सहमत है और जीरो प्वाइंट पर बैठक होगी।
फैजल ने गुरुवार को इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा, ‘पाकिस्तान के प्रस्ताव से भारत सहमत है और करतारपुर साहिब गलियारे को लेकर तकनीकी बैठक 30 अगस्त को जीरो प्वाइंट पर होने जा रही है’। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान अपने प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार, करतारपुर साहिब गलियारे को पूरा करने और इसका उद्घाटन करने को लेकर प्रतिबद्ध है’। पाकिस्तान ने कहा कि वह सीमापार करतारपुर गलियारा परियोजना का काम जारी रखेगा और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जयंती पर नवंबर में इसे खोलेगा।
तीर्थयात्रियों को वीजा मुक्त आवाजाही की सुविधा
ये कॉरिडोर पाकिस्तान के करतारपुर में दरबार साहिब को गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से जोड़ेगा और भारतीय सिख तीर्थयात्रियों की वीजा मुक्त आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगा। सिख तीर्थयात्रियों को करतारपुर साहिब जाने के लिए सिर्फ अनुमति लेनी होगी। करतारपुर साहिब की स्थापना गुरू नानक देव ने 1522 में की थी।
पाकिस्तान और भारत गुरु नानक के 550वें प्रकाश पर्व के मौके पर 12 नवंबर को लाहौर से करीब 125 किलोमीटर दूर नारोवाल में गलियारे के उद्घाटन के संबंध में अब भी तौर-तरीकों पर विचार कर रहे हैं। ये गलियारा 1947 में भारत की आजादी के बाद से दोनों पड़ोसी देशों के बीच पहला वीजा मुक्त गलियारा भी होगा।
सिखों के लिए सबसे पवित्र जगहों में से एक
करतारपुर साहिब सिखों के लिए सबसे पवित्र जगहों में से एक है। करतारपुर साहिब सिखों के प्रथम गुरु, गुरुनानक देव जी का निवास स्थान था। गुरू नानक ने अपनी जिंदगी के आखिरी 17 साल 5 महीने 9 दिन यहीं गुजारे थे। उनका सारा परिवार यहीं आकर बस गया था। उनके माता-पिता और उनका देहांत भी यहीं पर हुआ था। इस लिहाज से यह पवित्र स्थल सिखों के मन से जुड़ा धार्मिक स्थान है।