कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए भारत सरकार ने एहतियात के तौर पर विटामिन बी1, बी12 और पैरासिटामोल सहित 26 तरह की दवाओं और फॉर्मूलेशन के निर्यात पर रोक लगा दी है। अब तक इसके निर्यात पर कोई रोक नहीं थी।
इसे लेकर विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने मौजूदा निर्यात नीति में बदलाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। सरकार के इस कदम के बाद अब कुछ सक्रिय औषधि सामग्री (एपीआई) और फॉर्मुलेशंस के निर्यात के लिए डीजीएफटी से लाइसेंस लेने की जरूरत होगी।
दवाओं की कमी की आशंका
हालांकि भारत दुनिया की जेनेरिक दवा की आपूर्ति का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन देश की फार्मा कंपनियां उन्हें बनाने के लिए आवश्यक दो-तिहाई रासायनिक घटकों के लिए चीन पर निर्भर हैं। कोरोनावायरस के प्रकोप से चीन में कारखाने बंद हो गए और आपूर्ति प्रभावित हुई, जिससे दवाओं की कमी की आशंका पैदा हो गई। डीजीएफटी की अधिसूचना के मुताबिक, "इन एपीआई से बनाए गए निर्दिष्ट एपीआई और फॉर्मूले का निर्यात तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक प्रतिबंधित है।"
भारत करता है निर्यात
कोरोना वायरस के दुनिया के कई देशों में फैलने के बाद सरकार की ओर से की गई यह घोषणा काफी अहम है। हालांकि, भारत एपीआई का भारी मात्रा में चीन से आयात करता है लेकिन सीमित मात्रा में यह इसका निर्यात भी करता है।पिछले साल देश से 22.50 करोड़ डालर का एपीआई का निर्यात किया गया। वहीं देश में एपीआई का सालाना आयात 3.5 अरब डॉलर का है। इसमें से करीब ढाई अरब डॉलर का आयात चीन से किया जाता है। निर्यात पर प्रतिबंध महत्वपूर्ण है क्योंकि देश में इन उत्पादों की मांग में वृद्धि होगी।
इन दवाओं पर लगी रोक
भारत ने पेरासिटामोल, विटामिन बी1, बी6 और बी12 के अलावा के अलावा जिनके निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है, उनमें टिनिडाजोल, मेट्रोनिडाजोल, एसाइक्लोविर, प्रोजेस्टेरोन, क्लोरैम्फिसोल, ऑर्निज़ाजोल, क्लोरैम्फेनिकॉल, क्लिंडामाइसिन नमक, नेमाइसिन, नेमाइसिन शामिल हैं। इससे पहले फरवरी में औषधि विभाग ने डीजीएफटी से 12 एपीआई और फार्मुलेंशंस के निर्यात को प्रतिबंधित करने कहा था। इनमें साधारण एंटीबायोटिक्स और विटामिन शामिल हैं।
डीओपी द्वारा रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत गठित एक उच्च-स्तरीय समिति ने चीन से दवाओं के लिए कच्चे माल की आपूर्ति की निगरानी के लिए प्रतिबंधों की सिफारिश की थी। बता दें कि देश में सोमवार को कोरोना वायरस के दो नये मामले सामने आये है। इस वायरस के फैलने से अब तक दुनियाभर में तीन हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।