अगस्ता वेस्टलैंड डील मामले में बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को भारत सरकार बेशक प्रत्यर्पण पर भारत ले आई है लेकिन अभी भी कई भगोड़ों का उसे शिद्दत से इंतजार है।
कई देशों से प्रत्यर्पण संधि होने के बावजूद इन भगोड़ों को लाने में भारत सरकार को कामयाबी नहीं मिल पाई है। इसमें कई तो करोड़ों का कर्जा लेकर फरार हो चुके हैं। पिछले साल ब्रिटेन की पीएम थेरेसा की भारत यात्रा के दौरान पीएम ने भगोड़े की लिस्ट सौंपी थी और कुछ इसी तरह की लिस्ट ब्रिटेन ने भी दी थी।
ऐसी सूची सौंपने वाले नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री नहीं है। इससे पहले भी ऐसा किया जा चुका है लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है। कुछ भगोड़ों के बारे में सरकार लगातार वहां की सरकारों से अनुरोध भी कर रही है।
जानते हैं उनमें से कुछ के बारे में जिनका सरकार लंबे समय से इंतजार कर रही है।
1- विजय माल्याः शराब कारोबारी पर आरोप है कि भारतीय बैंकों की 9 हजार करोड़ से भी ज्यादा रकम नहीं चुकाई। 2 मार्च 2016 को लंदन भाग गए थे और तभी से वहां रह रहे हैं। हालाकि मिशेल के प्रत्यर्पण के बाद माल्या ने कर्ज चुकाने की बात की है। भारतीय अदालत में भगोड़ा घोषित करने को लेकर सुनवाई चल रही है। सरकार लगातार उनके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है।
2- ललित मोदीः 2008 से 2010 तक आईपीएल के कमिश्नर रहे। ललित मोदी पर इस दौरान गलत तरह से टीमों की नीलामी करने का आरोप हैं। उन पर 125 करोड़ रुपये कमीशन लेकर मॉरिशस की कंपनी वर्ल्ड स्पोर्ट्स को आईपीएल का 425 करोड़ का ठेका देने का आरोप है। 2010 में ही वह ब्रिटेन भाग गए। तब से भारत सरकार उनके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है।
3- नीरव मोदीः पिछले दोनों पीएनबी में करीब 13 हजार करोड़ रुपये के घोटाले में आरोपी हैं। उन्होंने इसे फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के जरिए अंजाम दिया। बाद में विदेश भाग गए। सीबीआई और ईडी बैंक धोखाधड़ी मामले में जांच कर रहे हैं। जांच एजेंसी ने उनके प्रत्यर्पण की मांग ब्रिटेन सरकार से की है।
4-मेहुल चोकसीः हीरा कारोबारी नीरव मोदी के मामा हैं और उन पर भी नीरव मोदी के साथ 13 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। वह भी विदेश भाग गए और अब उन्होंने एंटीगुआ की नागरिकता ले ली है। भारत सरकार के आग्रह पर वहां की सरकार उनके प्रत्यर्पण की जांच कर रही है।
5-दाउद इब्राहिमः पाकिस्तान में रहता नहीं है, हालांकि सुना है कि वह अकसर पाकिस्तान आता रहता है। कई बार दुबई में रहने की बात कही गई है। भारत सरकार उसके लंबे समय से प्रत्यर्पण की कोशिश करती रही है लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई। देश में होने वाले कई अपराधों में अक्सर दाउद का नाम सामने आता रहा है।