आईएनएक्स मीडिया से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। चिदंबरम ने ईडी वाले मामले में हाई कोर्ट के जमानत खारिज किए के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि सीबीआई वाले मामले में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है।
ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह आर्थिक अपराध का बड़ा मामला है और चिदंबरम बाहर आकर गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। सीबीआई मामले के आधार पर उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती क्योंकि दोनों मामलों के गवाह और सामग्री अलग-अलग हैं।
दिल्ली की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने बुधवार को पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की न्यायिक हिरासत 11 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दी थी। उन्हें ईडी ने 16 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था।
'ऐसा लगता है जैसे मैं कोई रंगा बिल्ला हूं'
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी थी। चिदंबरम की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा था, “ऐसा लगता है जैसे मैं कोई रंगा बिल्ला हूं। अगर मुझे जमानत पर रिहा नहीं किया जाता है, तो यह इस देश को एक गलत संदेश देगा।” बता दें कि रंगा और बिल्ला मुंबई के दो खतरनाक अपराधी थे जो आर्थर रोड जेल से रिहा होने के बाद दिल्ली आ गए थे। उन्होंने अगस्त 1978 में दो किशोरों का अपहरण कर उन्हें बर्बरता से मार डाला था।
वित्तीय अनियमितता का है आरोप
चिदंबरम के वित्त मंत्री पद पर रहने के दौरान आईएनएक्स मीडिया समूह को 2007 में विदेशों से 305 करोड़ रुपये प्राप्त करने के लिए विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी में कथित अनियमियतताओं को लेकर सीबीआई ने 15 मई 2017 को यह मामला दर्ज किया था। इसके बाद ईडी ने इस सिलसिले में 2017 में मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला दर्ज किया। कांग्रेस नेता को पहली बार 21 अगस्त को आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, लेकिन दो महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी।