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कांग्रेस और हार्दिक पटेल के बीच क्या सब कुछ ठीक चल रहा है?

टिकट बंटवारे को लेकर पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) और कांग्रेस के बीच मतभेद जारी है। हार्दिक पटेल ने...
कांग्रेस और हार्दिक पटेल के बीच क्या सब कुछ ठीक चल रहा है?

टिकट बंटवारे को लेकर पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) और कांग्रेस के बीच मतभेद जारी है। हार्दिक पटेल ने गुरुवार को अहमदाबाद में होने वाली प्रेस कॉन्‍फ्रेंस रद्द कर दी, जिसमें वह कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान करने वाले थे। इससे पहले गुजरात विधानसभा चुनाव के लिये कांग्रेस की पहली सूची से पास को निराशा हुई है क्योंकि उसके सिर्फ दो सदस्यों को इसमें जगह दी गई।

कांग्रेस के साथ हार्दिक के रिश्ते अब तक सही दिशा में जाते नहीं दिख रहे हैं। उठापटक लगातार मची हुई है और इसका असर टिकट बंटवारे पर भी पड़ता दिख रहा है।

पहले रद्द हो चुकी हैं दो रैलियां

पिछले दिनों हार्दिक ने कहा था कि 18 नवंबर को गांधीनगर में रैली करूंगा क्‍योंकि कांग्रेस के साथ समझौता हो गया है लेकिन बाद में रैली को रद्द कर दिया। 20 नवंबर को हार्दिक की राजकोट में रैली थी लेकिन उसे भी रद्द कर दिया। वहीं 21 नवंबर यानी आज सुबह 11 बजे प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके हार्दिक ने कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही थी लेकिन ये प्रेस कॉन्‍फ्रेंस भी रद्द कर दी।

टिकट को लेकर टकराव

कांग्रेस ने ‘पास’ के दो सदस्यों-ललित वसोया और अमित ठुम्मर को रविवार को जारी सूची में जगह दी गई थी। हालांकि, हार्दिक पटेल नीत संगठन ने 20 सीटों की मांग की थी। इस घटनाक्रम से नाराज पास नेतृत्व ने अपने दो सदस्यों (जिन्हें टिकट दिया गया था) को निर्देश दिया था कि वे विरोध स्वरूप अपना नामांकन पत्र दायर नहीं करें। हालांकि, उनमें से एक वसोया ने आज कांग्रेस के टिकट पर धारोजी सीट से अपना नामांकन पत्र दायर किया।

वसोया के नामांकन पत्र दायर करने के बाद पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता की पंक्तियां ट्वीट कीं। उन्होंने लिखा, ‘‘बाधाएं आती हैं आएं, घिरें प्रलय की घोर घटाएं, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,निज हाथों में हंसते-हंसते,आग लगाकर जलना होगा, कदम मिलाकर चलना होगा।‘’

इससे पहले कांग्रेस के भी कुछ पुराने कार्यकर्ता हार्दिक के सहयोगी रहे पटेल समुदाय के अमित थूमर को टिकट दिए जाने से खफा थे। रविवार को कांग्रेसियों ने इसे लेकर हंगामा किया क्योंकि उनके पुराने कार्यकर्ता भीकाभाई जोशी को नजरअंदाज कर दिया गया था। रविवार रात हुए हंगामे का असर भी हुआ और सोमवार को कांग्रेस के टिकट पर नामांकन भरने के बावजूद अमित थूमर को चलता कर दिया गया। चौबीस घंटे के भीतर ही अमित थूमर का टिकट काट कर कांग्रेस ने अपने पुराने कार्यकर्ता भीकाभाई जोशी को चुनाव मैदान में उतार दिया।

सोमवार को हार्दिक पटेल ने चुप्पी ही साधे रखी, लेकिन दो ट्वीट के माध्यम से उन्होंने अपने भीतर की मौजूदा उलझन को ही सामने ला दिया। हार्दिक पटेल को भी ‘पास’ के भीतर के मतभेद का डर सताने लगा है क्योंकि पहले ही उनके कई साथी उनका साथ छोड़ चुके हैं।

अपने ही लोगों के बीच अकेले पड़े हार्दिक

पाटीदार आरक्षण आंदोलन की 2015 की महारैली के बाद जो कोर टीम चर्चा में आई थी, उसमें कई बदलाव हो गए हैं। इस टीम के कई सदस्य या तो बीजेपी में शामिल हो गए या अपने रास्ते पर चले गए। अपने भरोसेमंद साथियों केतन पटेल, चिराग पटेल, वरुण पटेल और रेशमा पटेल के बीच रास्ते में ही साथ छोड़ देने के बाद हार्दिक पटेल पाटीदार आरक्षण की लड़ाई को जारी रखने वाले अकेले बचे हैं।

हार्दिक पटेल को सबसे बड़ा झटका उस समय लगा जब ‘पास’ नेता दिनेश बंभानिया ने उनकी रणनीति पर सवाल उठाया और टिकटों के बंटवारे पर कांग्रेस का विरोध किया। सवाल यह उठ रहा है कि ‘पास’ नेताओं ने हार्दिक पटेल से दूरी क्यों बनाई? उन्होंने आरोप लगाया कि हार्दिक अभी फैसले लेने के लिए परिपक्व नहीं हुए हैं। वरुण और रेशमा ने भी कुछ इसी तरह के आरोप लगाए। बंभानिया इस बात से नाराज थे कि कांग्रेस ने ‘पास’ की कोर कमेटी से सलाह लिए बगैर ही उनके सदस्यों को टिकट दे दिया।

कथित सेक्स सीडी का असर

हार्दिक पटेल की कथित तौर पर सेक्स सीडी सामने आने के बाद हो सकता है इसका असर चुनाव पर पड़े। एक वजह ये भी है कि हार्दिक के साथी और कांग्रेस हार्दिक से दूरियां बना रहे हैं।

इस हिसाब से तो यही कहा जा सकता है कि गुजरात चुनाव से पहले हार्दिक के लिए रास्ता कठिन है और कांग्रेस और उनके बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

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