मोदी सरकार द्वारा स्कूली बच्चों के सिर से बोझ कम करने के कई कदम उठाए गए हैं। इसमें बच्चों के बैग का बोझ कम करना, होमवर्क से छुट्टी, सिलेबस में राहत और अब कक्षा 5 और 8 के बच्चों को फेल न किए जाने की बातें शामिल हैं। कच्ची उम्र में पढ़ाई का दबाव औसत मेधा और भिन्न रुचियों वाले बच्चों को कुंठित बनाता है। लिहाजा उनको दबाव से बचाने के रास्ते भी ढूंढने होंगे। हमारी ज्यादातर शिक्षा व्यवस्था रटने की पद्धति पर आधारित है। बच्चों की पूरी क्षमता का आकलन सिर्फ उनके मार्क्स से किया जाता है हालांकि इस पर लोगों की राय बंटी हई है और कई लोगों का कहना है कि यह पढ़ाई में जरूरत से ज्यादा रियायत देने जैसा है।
कक्षा 5 और 8 के बच्चों के लिए खत्म होगी नो डिटेंशन पॉलिसी?
इसी क्रम में बुधवार को लोकसभा ने राइट टू एजुकेशन एक्ट में एक संशोधन का बिल पास किया। इसमें स्कूली बच्चों को लेकर ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ खत्म करने की बात कही गई है। केद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंप्लसरी एजुकेशन (दूसरा संशोधन) बिल 2017 पेश किया।
यह कक्षा 5 और 8 में छात्रों को फेल किए बिना उनकी प्राथमिक शिक्षा पूरी कराने वाली नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने कोशिश है। हालांकि राज्यसभा में पास होने के बाद ही ये लागू हो पाएगा। उसके बाद भी यह राज्य सरकारों पर निर्भर करेगा कि वे संशोधन लागू कर इस पॉलिसी को खत्म करती हैं या नहीं।
दरअसल, 22 राज्यों ने इस पॉलिसी के कारण शिक्षा का स्तर गिरने की बात कहते हुए इसके खात्मे की मांग केंद्र सरकार से की थी। इसके बाद संशोधन का फैसला लिया गया था। संशोधित बिल के तहत अब कक्षा पांच और आठ में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले छात्रों को एक और मौका दिया जाएगा। इस परीक्षा में भी अगर छात्र स्तरीय प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं तो उन्हें फेल घोषित कर दोबारा उसकी कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा। बिल पास होने पर कक्षा पांच और आठ की परीक्षाएं भी अनिवार्य हो जाएंगी। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस बिल के पास होने पर प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
स्कूली बैग होगा हल्का, होमवर्क से छुट्टी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब केंद्र सरकार एक नई योजना ला रही है। जिसमें हम बस्तों के बोझ को हल्का कर देंगे। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है लेकिन यह सॉफ्टवेयर उन्हीं स्कूलों को मिलेगा जो अपने खर्च से या चन्दे से डिजिटल बोर्ड और प्रोजेक्टर खरीदेंगे।
मद्रास हाईकोर्ट ने 30 मई को एक अंतरिम आदेश में केंद्र से कहा था कि वह राज्य सरकारों को निर्देश जारी करे कि वे स्कूली बच्चों के बस्ते का भार घटाएं और पहली-दूसरी कक्षा के बच्चों को होमवर्क से छुटकारा दिलाएं।
सिलेबस में कटौती
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जून में कहा था कि एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम जटिल है और सरकार इसे घटाकर आधा करने वाली है। कई शिक्षाविदों ने इस पर सवाल उठाया और कहा कि कम उम्र में बहुत ज्यादा चीजों की जानकारी देने की कोशिश में बच्चे कुछ नया नहीं सीख पा रहे हैं। सिलेबस का बोझ उन्हें रट्टू तोता बना रहा है। यही नहीं, इस दबाव ने बच्चों में कई तरह की मनोवैज्ञानिक समस्याएं पैदा की हैं। एकदम छोटे बच्चों को होमवर्क के झंझटों से मुक्त करना जरूरी है।