श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से किया गया यह प्रक्षेपण पीएसएलवी के माध्यम से किया गया। चेन्नई से करीब सौ किलोमीटर दूर इसरो ने पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) के माध्यम से कार्टोसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह और 103 नैनो उपग्रहों को 30 मिनट के अंतराल पर सटीक ढंग से कक्षा में प्रवेश करा दिया। यह इसरो की लगातार 38वीं सफलता है। कई अरब डॉलर के प्रक्षेपण उद्योग में अपनी बढ़त दर्ज कराते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रूस की अंतरिक्ष एजेंसी को पीछे छोड़ दिया जिसने 2014 में एक ही बार में 37 उपग्रह प्रक्षेपित किए थे। इसरो ने इससे पहले जून 2015 में सबसे ज्यादा 20 उपग्रह एक साथ प्रक्षेपित किए थे।
इसरो ने कहा कि कार्टोसैट-2 श्रृंखला का उपग्रह ऐसी तस्वीरें भेजेगा, जो तटीय भू प्रयोग एवं नियमन, सड़क तंत्रा निरीक्षण, जल वितरण, भू-प्रयोग नक्शों का निर्माण आदि कार्यों में सहायक होंगी। यह एक दूर संवेदी अंतरिक्ष यान है, जिसका जीवनकाल पांच साल का है। सफलता से उत्साहित इसरो के अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने घोषणा की, सभी 104 उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश कराया गया। इसरो के पूरे दल को उनके द्वारा किए गए इस अद्भुत काम के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के इस सफल परीक्षण पर उसे बधाई देते हुए कहा कि इसरो द्वारा हासिल की गई यह अहम उपलब्धि हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिक समुदाय और देश के लिए एक और गौरवपूर्ण क्षण है। भारत अपने वैज्ञानिकों को सलाम करता है।
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि पीएसएलवी...सी 37 और कार्टोसैट उपग्रह के साथ 103 नैनो उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए इसरो को बधाई। (एजेंसी)