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भारत सरकार ने कहा, आइएसआइ से जुड़े हैं जमात-ए-इस्लामी के तार

जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा हाल में प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी के तार पाकिस्तान की...
भारत सरकार ने कहा, आइएसआइ से जुड़े हैं जमात-ए-इस्लामी के तार

जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा हाल में प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी के तार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ से जुड़े हैं। इस संगठन से जुड़े लोगों का सीधा संपर्क नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान के हाई कमिश्नर से भी है और इसके नेताओं की अक्सर पाकिस्तानी हाई कमिश्नर से बात होती थी। यह खुलासा भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने किया है।

अधिकारी का कहना है कि जमात-ए-इस्लामी से जुड़े नेता कश्मीरी युवाओं को हथियारों की आपूर्ति, प्रशिक्षण और खाद्य आपूर्ति की व्यवस्था करते थे। ये काम पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के इशारे पर किया जाता था। संगठन का मुख्य सदस्य हुर्रियत कांफ्रेंस का नेता सैयद अली शाह गिलानी है जो जिहाद के नाम पर जम्मू-कश्मीर के लोगों को भड़काता है।

कश्मीरी युवाओं को बना रहे आतंकी

खुफिया जानकारी के अनुसार,  जमात-ए-इस्लामी कश्मीर घाटी में बच्चों के बीच भारत विरोधी भावनाओं को फैलाने के लिए वहां के स्कूलों में अपने नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है और इस संगठन के यूथ विंग में शामिल कश्मीरियों को जिहाद के नाम पर आतंकी गुटों में शामिल किया जाता है। अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तानी हाई कमिश्नर और आइएसआइ का जमात-ए-इस्लामी  से संबंध कोई चौकाने वाली बात नहीं है।

आतंकी संगठनों से भी है संबंध

बताया जा रहा है कि इस संगठन के तार पाकिस्तान समर्थित कई आतंकी संगठनों से भी जुड़े हैं। वे लोग इन्हें फंडिंग करते हैं। यह संगठन पाकिस्तान में राज्य को मिलाने के लिए जम्मू-कश्मीर में युवाओं से हमले करवाता है। 1990 के दशक में जब कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था। उस समय अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी को आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का दाहिना हाथ माना जाता था। उस समय जमात-ए-इस्लामी, हिजबुल की राजनीतिक शाखा के तौर पर काम करता था। इसके साथ ही जमात-ए-इस्लामी खुद को सामाजिक और धार्मिक संगठन बताता रहा है लेकिन आज भी जमात का एक एक बड़ा कैडर हिजबुल से जुड़ा हुआ है।

केंद्र सरकार ने लगाया प्रतिबंध

केंद्र सरकार ने गैरकानूनी और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के कारण कश्मीर के कट्टरपंथी अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया था तथा 7 मार्च को जमात-ए-इस्लामी कश्मीर के मुख्यालय को पुलिस ने सील कर दिया। जमात मुख्यालय से कई दस्तावेज और कंप्यूटर भी जब्त किए हैं। पुलिस ने जमात से जुड़े करीब 600 लोगों को हिरासत में लेने के अलावा 80  के करीब उसके संस्थान, कार्यालय और 75 बैंक खाते सील किए हैं।  

इससे पहले संगठन की गतिविधियों को लेकर जम्मू कश्मीर सरकार ने पहली बार 1975 में दो साल के  लिए रोक लगाई थी और दूसरी बार 1990 में केंद्र सरकार ने तीन साल के लिए प्रतिबंध लगाया था। उस समय मुफ्ती मोहम्मद सईद गृहमंत्री थे और प्रतिबंध लगातार दिसंबर 1993 तक जारी रहा। अब केंद्र सरकार ने 28 फरवरी को संगठन को प्रतिबंधित किया है।

करते रहे हैं उग्रवाद का समर्थन

जमात के आमीर ए आला, डा आमीर हमीद, प्रवक्ता जाहिद अली समेत कई प्रमुख नेताओं को पहले ही गिरफतार जा चुका है तथा जाहिद अली को पीएसए के तहत बंदी बनाया गया है। बता दें कि हुर्रियत में जेएई (जेएंडके) के प्रतिनिधि गिलानी, कश्मीर में लगातार उग्रवाद का समर्थन करते रहे हैं तथा कारगिल युद्ध के दौरान  घुसपैठियों को 'स्वतंत्रता सेनानी' कह दिया था।

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