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जामिया हिंसा जांच में पहली बार क्राइम ब्रांच की टीम पहुंची कैंपस, मामले की कर रही है जांच

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने मंगलवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया का दौरा किया। बीते साल 15...
जामिया हिंसा जांच में पहली बार क्राइम ब्रांच की टीम पहुंची कैंपस, मामले की कर रही है जांच

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने मंगलवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया का दौरा किया। बीते साल 15 दिसंबर को नागरिकता संसोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान कैंपस में हुई हिंसा मामले को लेकर क्राइम ब्रांच के डीसीपी राजेश देव और इंटरस्टेट सेल के एसीपी संदीप लांबा के नेतृत्व में टीम विश्वविद्यालय पहुंची। अधिकारी के मुताबिक पहली बार पुलिस जांच टीम ने कैंपस का दौरा किया है। खबरों के मुताबिक टीम ने लाइब्रेरी में हिंसा के दौरान हुई तोड़-फोड़ वाले जगह का निरीक्षण किया। इसके अलावा इन दलों ने प्रॉक्टर कार्यालय का दौरा करने के साथ-साथ पिछले दिनों वायरल हुए वीडियो के बारे में भी जानकारी ली।

ट्वीट किया गया था वीडियो

इससे पहले 16 फरवरी को यूनिवर्सिटी में बीते 15 दिसंबर को हुई पुलिस कार्रवाई से जुड़ा एक कथित वीडियो सामने आया था जिसमें सुरक्षाबल लाइब्रेरी में मौजूद छात्रों पर डंडे बरसाते नजर आ रहे हैं। ये वीडियो जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी की तरफ से जारी किया गया था। वहीं, पुलिस ने इस वीडियो पर संज्ञान लेते हुए कहा था कि इसकी जांच की जा रही है।

जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी (जेसीसी) ने इस वीडियो को ट्वीट कर लिखा, 'ओल्ड रीडिंग हॉल की पहली मंजिल पर एम. ए./एम. फिल सेक्शन में 15 दिसंबर, 2019 को पुलिस बर्बरता का एक्सक्लूसिव सीसीटीवी फुटेज। दिल्ली पुलिस शर्म करो।' ट्वीट में दिल्ली पुलिस के ट्विटर हैंडल को भी टैग किया गया। 

जिसके बाद सोमवार को कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। हालांकि, यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से कहा गया कि उनकी तरफ से वीडियो जारी नहीं किया गया है। मालूम हो कि जेसीसी विश्वविद्यालय का अधिकारिक हिस्सा नहीं है।

पुलिस पर जबर्दस्ती कैंपस के भीतर घूसने का आरोप

जामिया में 15 दिसंबर को जब हिंसा हुई तो आरोप लगे थे कि पुलिस जबरदस्ती कैंपस में घुसी और लाइब्रेरी में पढ़ रहे छात्रों की पिटाई की। लाइब्रेरी में तोड़फोड़ के वीडियो भी सामने आए थे। जामिया प्रशासन ने भी कहा था कि दिल्ली पुलिस बिना अनुमति कैंपस में दाखिल हुई। पुलिस ने भी इस बात को स्वीकार किया था, लेकिन कहा था कि हिंसा में शामिल लोगों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस कैंपस में घुसी थी।

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