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झारखंडः सीआरपीएफ विवाद में कूदे राज्यपाल, कहा- प्राथमिकी गलत; झामुमो का पलटवार, राज्यपाल बोल रहे हैं भाजपा की भाषा

रांची। रांची जमीन घोटाला मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ईडी की पूछताछ के दौरान बिना जिला...
झारखंडः सीआरपीएफ विवाद में कूदे राज्यपाल, कहा- प्राथमिकी गलत;  झामुमो का पलटवार, राज्यपाल बोल रहे हैं भाजपा की भाषा

रांची। रांची जमीन घोटाला मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ईडी की पूछताछ के दौरान बिना जिला प्रशासन की अनुमति या बिना भरोसे में लिए सीआरपीएफ जवानों के सीएम हाउस पहुंचने का मामला तूल पकड़ रहा है। इस प्रकरण में जिला प्रशासन द्वारा सीआरपीएफ आदि पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। गुरुवार को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन सीआरपीएफ के पक्ष में कूदे तो झामुमो ने राज्यपाल पर हमला बोला। दूसरी तरफ ईडी के नौवें समन पर हेमंत सोरेन ने पत्र भेजकर कह दिया कि व्यस्तता के कारण 31 जनवरी तक उन्हें फुरसत नहीं है।

गुरुवार को रांची यूनिवर्सिटी के के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आर्यभट्ट सभागार पहुंचे राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने पत्रकारों के सवाल पर कहा कि सीआरपीएफपर प्राथमिकी दर्ज कराना गलत है। यह समझना जरूरी है कि आखिर सीआरपीएफ को सीएम आवास जाने की जरूरत ही क्यों पड़ी। उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थक सीएम आवास के पास हंगामा कर रहे थे, ऐसे में क्या विकल्प था। 20 जनवरी का यह घटनाक्रम है। 23 जनवरी को रांची सदर के सीओ ने गोंदा थाने में सीआरपीएफ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

सीआरपीएफ के पक्ष में राज्यपाल के बयान के बाद झामुमो ने राज्यपाल पर हमला बोला। झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने बयान जारी कर कहा कि राज्यपाल भाजपा नेताओं की जुबान बोल रहे हैं। राज्य सरकार के खिलाफ उनका दिया गया वक्तव्य अप्रत्याशित एवं अनावश्यक है। उनकी जो भी व्याकुलताएं हैं, वो सार्वजनिक मंच पर नहीं बल्कि प्रक्रियागत तौर पर व्यक्त हो। ऐसा नहीं होने पर यह समझा जायेगा कि उनका बयान राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है जो कठोर निंदनीय है।प्राकृतिक आपदा, आपातकालीन स्थिति या कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने पर  जिला के मजिस्ट्रेट केंद्र सरकार के अर्ध सैनिक बल, सैन्य बल तथा एनडीआरएफ की मांग करते हैं।

रांची के मजिस्ट्रेट ने ऐसी कोई मांग केंद्र सरकार से नहीं की थी

झामुमो के स्तर से पार्टी कार्यकर्ताओं को सीएम हाउस के समीप आने को सार्वजनिक आह्वान नहीं किया गया था। वे स्वतः स्फूर्त सीएम आवास की तरफ अपने अपने घरों से आ गये थे। जिन्हें रांची जिला बल ने आवास से दूर रोक लिया। संपूर्ण निवास स्थान को प्रतिबंधित क्षेत्र की तरह सीमित कर दिया। राज्यपाल को यह भी पता होगा कि इस राज्य के एक विशेष राजनीतिक दल के कार्यकर्ता समाज विरोधी, संप्रदाय विरोधी एवं आपराधिक प्रवृत्ति के लोग होते हैं जिनकी पहचान समाज को है। इसलिए मतदान के समय उसे शासन से दूर रखता है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा 20 जनवरी को सीआरपीएफ की उपस्थिति के संबंध में जो आधिकारिक एवं सार्वजनिक बयान दिये गये, उन्हीं शब्दों का उपयोग हिन्दी भाषा की जगह अंग्रेजी भाषा में राज्यपाल द्वारा गुरुवार को किया गया।

बोले हेमंत- आने में हूं असमर्थ

इधर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी को उसके 9वें समन का जवाब भेज दिया है। सोरेन ने कहा है कि उनके पास 31 जनवरी तक समय नहीं है। व्यस्तता के कारण वह ईडी ऑफिस नहीं आ सकेंगे। मुख्यमंत्री ने गुरुवार को सीलबंद लिफाफे में अपना जवाब भेजा। 20 जनवरी को हेमंत सोरेन से पूछताछ के बाद 23 जनवरी को ईडी ने 9वां समन भेजकर उन्हें 27 से 31 जनवरी के बीच पूछताछ के लिए उपलब्ध रहने को कहा था। फिर विकल्प दिया था कि वह स्थान, समय और दिन निश्चित करें। अधिकारी खुद आएंगे।

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