जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्राओं के एक समूह की ओर से यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे एक प्रोफेसर ने नैतिक आधार पर शुक्रवार को दो प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों में छात्राओं के ‘निहित हित’ हैं।
प्रोफेसर ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा, ‘मैंने नैतिक आधार पर इस्तीफा दिया है। मुझे बदनाम करने की कोशिश हो रही है। मैं मानसिक रूप से प्रताड़ित महसूस कर रहा हूं।’
बता दें कि प्रोफेसर जेएनयू में दो प्रशासनिक पदों पर थे। वह मानव संसाधन विकास केंद्र( एचआरडीसी) में निदेशक और आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ( आईक्यूएएस) के निदेशक थे।
यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज (एसएलएस) के छात्रों ने यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद शुक्रवार रात 9 बजे वसंत कुंज पुलिस थाने में प्रोफेसर की गिरफ्तारी की मांग की। जिसके बाद थाने में प्रोफेसर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बयान में कहा, ‘जेएनयू के स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज के कुछ विद्यार्थियों ने शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात की और एक प्रोफेसर के खिलाफ मौखिक तौर पर अपनी शिकायत की। उन्हें आश्वस्त किया गया कि प्रशासन उनकी शिकायतों पर गौर करेगा। इस बीच जिस प्रोफेसर के खिलाफ शिकायत हुई थी, उन्होंने प्रशासनिक पदों से अपना इस्तीफा दे दिया।’