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जेएनयू राजद्रोह मामले में कोर्ट ने कहा, अधिकारी अनिश्चितकाल तक नहीं अटका सकते फाइल

जेएनयू राजद्रोह मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दायर चार्टशीट को दिल्ली सरकार से मंजूरी नहीं मिलने पर...
जेएनयू राजद्रोह मामले में कोर्ट ने कहा, अधिकारी अनिश्चितकाल तक नहीं अटका सकते फाइल

जेएनयू राजद्रोह मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दायर चार्टशीट को दिल्ली सरकार से मंजूरी नहीं मिलने पर पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा कि अधिकारी अनिश्चितकाल तक फाइल अटका कर नहीं रख सकते हैं। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को मंजूरी हासिल करने के लिए 28 फरवरी तक का समय दिया है।

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने बताया कि मामले में कन्हैया कुमार और अन्य पर मुकदमा चलाने के मंजूरी मिलने का मामला दिल्ली सरकार के पास लंबित है। कुछ दिन में इजाजत मिल सकती है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अधिकारियों से जल्द से जल्द मंजूरी देने को कहें।

दिल्ली पुलिस ने दायर किया था आरोप-पत्र

जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में दिल्ली पुलिस की ओर से राजद्रोह को लेकर 14 जनवरी को चार्जशीट दाखिल की गई थी लेकिन अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि कन्हैया कुमार पर मुकदमा चलेगा कि नहीं। दिल्ली सरकार ने अभी तक दिल्ली पुलिस को इस आरोप के लिए केस चलाने की मंजूरी नहीं दी है। जबकि ऐसे मामले में राज्य सरकार की मंजूरी अनिवार्य है। कोर्ट ने चार्जशीट दाखिल होने के बाद अगली तारीख पर दस दिनों में मंजूरी लाने का समय दिया था। 

दिल्ली सरकार की मंजूरी जरूरी

चार्जशीट में कन्हैया कुमार समेत कई आरोपियों के खिलाफ राजद्रोह की धारा-124ए लगाई है। इस धारा में कोर्ट सीआरपीसी की धारा-196 के तहत तभी संज्ञान ले सकता है जब दिल्ली सरकार की मंजूरी मिलेगी। अगर दिल्ली सरकार ने समय से मंजूरी नहीं दी तो कोर्ट देशद्रोह की धारा-124ए पर संज्ञान नहीं लेगा और ये धारा स्वत: ही खत्म हो जाएगी। अगर दिल्ली सरकार की मंजूरी नहीं मिली तो कोर्ट इस  धारा को छोड़कर अन्य धाराओं में संज्ञान ले लेगा।

देश विरोधी नारे लगाने का है आरोप

पुलिस ने जेएनयू परिसर में नौ फरवरी 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने को लेकर दायर 12सौ  पन्ने की चार्जशीट में कन्हैया कुमार के अलावा विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को भी आरोपी बनाया है। इसमें कहा गया है कि वह परिसर में एक कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे थे और उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में देश विरोधी नारे लगाए।

 

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