प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली सात जजों की पीठ ने न्यायमूर्ति कर्णन की निजी पेशी पर उन्हें कहा कि वह अपने कई संचारों में विभिन्न न्यायाधीशों के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर जवाब दें। पीठ ने न्यायमूर्ति कर्णन से पूछा कि वह बिना शर्त माफी मांगने के लिए और विभिन्न न्यायाधीशों के खिलाफ लगाए आरोपों से युक्त अपने संवादों को वापस लेने को तैयार हैं या नहीं?
न्यायमूर्ति कर्णन सीधे तौर पर जवाब नहीं दे रहे थे इसलिए पीठ ने उन्हें इस सवाल का जवाब देने में समय लेने और कानूनी मदद लेने का सुझाव दिया। न्यायमूर्ति कर्णन ने अपने जवाब में आरोप लगाया कि साथी न्यायाधीश उनकी जाति समेत विभिन्न आधारों पर भेदभाव और सामाजिक बहिष्कार करते हैं। उन्होंने कहा कि यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अवमानना का नोटिस जारी कर दिया और उनकी बात सुने बिना ही उनसे उनकी प्रशासनिक एवं न्यायिक अधिकार छीन लिए।
न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा कि मैंने प्रधान न्यायाधीश और प्रधानमंत्री से शिकायतें की थीं। मेरे खिलाफ स्वत: ही अवमानना की कार्रवाई शुरू कर दी गई। मेरी बात सुनने से पहले ही मुझसे मेरा काम छीन लिया गया। आम जनता की नजरों में मेरी प्रतिष्ठा धूमिल हुई। मैं भी एक संवैधानिक पद पर हूं। क्या मेरा कोई सम्मान या प्रतिष्ठा है?
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी वारंट लेकर उनके दफ्तर में दाखिल हो गए। उन्होंने कहा कि चूंकि मैं भी संवैधानिक पद पर बैठा एक न्यायाधीश था, ऐसे में यह सिर्फ मेरा नहीं बल्कि पूरी न्यायपालिका का अपमान है। इस पर पीठ ने कहा कि पूर्व में उसने न्यायमूर्ति कर्णन को नोटिस जारी किया था और जब वह पेश होने में विफल रहे, तभी पीठ ने उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया।
पीठ ने कहा कि जब हमने आपको नोटिस जारी किया, यह दे दिया गया। आप पेश नहीं हुए। यह सामान्य प्रक्रिया है। आप पेश नहीं हुए इसलिए जमानती वारंट जारी किया गया। हम यह नहीं कह रहे कि आप एक आरोपी हैं। न्यायाधीश होने के बावजूद और सभी परिणामों को समझने के बावजूद आप पेश नहीं हुए।
इस पीठ में प्रधान न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर, न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ शामिल थे।
शीर्ष अदालत ने 10 मार्च को न्यायमूर्ति कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किए थे ताकि वह अवमानना के मामले में न्यायालय के समक्ष पेश हों। प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने पश्चिम बंगाल पुलिस के महानिदेशक से कहा था कि वह न्यायमूर्ति की आज की पेशी सुनिश्चित करने के लिए वारंटों की तामील करें।
न्यायमूर्ति कर्णन द्वारा मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ भारत के प्रधान न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और अन्य को कथित तौर पर खुले अवमाननापूर्ण पत्र लिखे जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। (एजेंसी)