सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट के अगले चीफ जस्टिस के पद के लिए वरिष्ठ न्यायाधीश यू यू ललित के नाम की सिफारिश की है। एन वी रमना 26 अगस्त 2022 को अपने पद से सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। उन्होंने अपनी सिफारिश कानून एवं न्याय मंत्री को सौंप दी है। यदि एन वी रमना की सिफारिश मान ली जाती है तो यू यू ललित भारत के 49वें चीफ जस्टिस बन जाएंगे।
बता दें कि कानून मंत्री किरन रिजिजू ने चीफ जस्टिस एन वी रमना को खत लिखकर उनसे अपने उत्तराधिकारी की सिफारिश करने का अनुरोध किया था।
Chief Justice of India NV Ramana today recommends Justice UU Lalit's name as his successor. Justice Lalit to become the 49th CJI. Chief Justice Ramana is retiring this month. pic.twitter.com/AfJJc8652V
— ANI (@ANI) August 4, 2022
यू यू ललित ने अभी तक सुप्रीम कोर्ट के सात ऐतिहासिक मामलों के निर्णय में अहम भूमिका निभा चुके हैं। इस में तीन तलाक मामले में दिया गया निर्णय सबसे महत्वपूर्ण है। मुस्लिम समाज में फैली हुई तीन तलाक की कुरीति पर कुठाराघात करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे गैर संवैधानिक, गैर कानूनी और गैर इस्मालिक घोषित कर दिया था। इसी के साथ देश भर में तीन तलाक की परंपरा ने अपना प्रभाव खो दिया था। यह महिला सशक्तिकरण एवं कल्याण की राह में उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम था।
अगस्त 2017 में आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय में जस्टिस यू यू ललित की महत्वपूर्ण भूमिका थी। सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने तीन तलाक मामले पर 3 -2 की सहमति से अपना निर्णय सुनाया था। जहां एक तरफ तीन जजों जस्टिस कुरियन जोसफ, जस्टिस नरीमन और जस्टिस यूयू ललित ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था, वहीं जस्टिस नजीर और सीजेआई खेहर ने तीन तलाक मामले में कोर्ट के दखल को उचित न मानते हुए, तीन तलाक को लेकर सरकार द्वारा कानून बनाने की मांग की थी।
9 नवंबर 1957 को जन्म लेने वाले जस्टिस यू यू ललित की अगस्त 2014 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति हुई थी। जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस निर्णय को सिरे से खारिज कर दिया था, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर स्किन से स्किन का कॉन्टैक्ट नहीं हुआ है तो, ये यौन शोषण नहीं कहा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित, एस रविंद्र भट और बेला त्रिवेदी की बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि, कपड़ों के ऊपर और बगैर कपड़े के गलत नीयत से बच्चों को गलत नीयत से छूना भी पॉक्सो एक्ट की धारा 7 के अंतर्गत आता है और ये यौन शोषण ही है। कोर्ट को यौन शोषण की ऐसी व्याख्या नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इससे कानून बनाने का उद्देश्य खत्म हो जाएगा। जस्टिस यू यू ललित की यह टिप्पणी बाल यौन अपराधों से शक्ति के साथ निपटने के लिए महत्वपूर्ण थी।
2 जी मामले में सीबीआई की तरफ से विशेष लोक अभियोजक की भूमिका निभाने वाले जस्टिस यू यू ललित यदि चीफ जस्टिस बनते हैं तो वह ऐसे दूसरे न्यायाधीश होंगे, जिन्हें सीधे शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्न्त किया गया। उनसे पहले न्यायमूर्ति एस. एम सीकरी वह इकलौते वकील रहे हैं, जिन्हें शीर्ष अदालत की पीठ में सीधे पदोन्नत किया गया।