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कैंची धाम : सनातन धर्म का शक्ति केन्द्र, जो बाजार की भेंट चढ़ रहा है

संत बाबा नीब करौरी महाराज के द्वारा स्थापित कैंची धाम आज विश्व भर के आध्यात्मिक जिज्ञासुओं का प्रिय...
कैंची धाम : सनातन धर्म का शक्ति केन्द्र, जो बाजार की भेंट चढ़ रहा है

संत बाबा नीब करौरी महाराज के द्वारा स्थापित कैंची धाम आज विश्व भर के आध्यात्मिक जिज्ञासुओं का प्रिय स्थान बन गया है। यहां सरकार द्वारा विभिन्न निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, जिससे आगंतुकों को सुविधा मिल सके। उत्तराखंड सरकार पूरे जोर से कैंची धाम को विश्व धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने चाह रही है। लेकिन सोचनीय विषय यह है कि क्या सभी धार्मिक स्थलों को आर्थिक उन्नति कमाई के लिए धार्मिक पर्यटन से जोड़ना चाहिए।क्या इससे उस क्षेत्र की आध्यात्मिक ऊर्जा खंडित नहीं होगी।यह सोचना चाहिए।जब लोग मौज मस्ती के लिए धार्मिक स्थलों पर आते हैं।शराब से लेकर माँस सेवन करते हैं।रील और फोटो खिंचाने में तल्लीन रहते हैं।नदी को प्रदूषित करते हैं तो राज्य और समाज का कैसे भला हो सकता है।

क्या बाबा नीब करौरी महाराज भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा से,प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से या उद्योगपति बिड़ला से कहकर कैंची धाम में आलीशान होटल,लिफ्ट,हेलीपैड,ध्यान केंद्र,पार्किंग नहीं बनवा सकते थे।तब कैंची धाम साधना स्थल नहीं बल्कि शॉपिंग सेंटर या मनोरंजन पार्क बन जाता।धाम की शांति नष्ट हो जाती और यह पिकनिक स्पॉट बन जाता।कलयुग के प्रभाव में आज कैंची धाम में विनाश को विकास के नाम पर निमंत्रण दिया जा चुका है।

आज कैंची धाम जाओ तो केवल जाम,भीड़,गाड़ियों का शोर,रील बनाने में व्यस्त पर्यटक दिखाई देते हैं।जब आर्थिक उन्नति के लिए सरकार धार्मिक स्थलों को पर्यटन केंद्र बना देती है तो यही होता है।परम पूज्य बाबा नीब करौरी महाराज ने कैंची धाम में हनुमान जी महाराज स्थापित किए तो इस दिव्य धाम में शांति,आध्यात्मिक ऊर्जा थी,जिसमें करोड़ों जीवों का कल्याण निहित था।भूमि की दिव्यता तभी तक थी, जब तक पवित्रता थी।जहाँ से बाजार हावी हुआ, वहीं से शक्तियों का पलायन शुरू हो जाता है।दुःखद है कि आज कैंची धाम में पार्किंग,हेलीपैड,फ़ूड पार्क आदि बनने पर जोर है।लेकिन धाम का मौलिक स्वरूप बिगाड़ दिया है।आज ऊँची इमारतों को होटल रूप में बनाया गया है।और भीड़ का आलम यह है कि हनुमान जी के मंदिर में भक्त अब बैठकर हनुमान चालीसा नहीं पढ़ पा रहे।

आज कैंची धाम में सड़क निर्माण के लिए पहाड़ काटे जा रहे हैं।जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए यह जरूरी है।सड़क चौड़ीकरण के लिए भी पहाड़ को नुकसान पहुँचेगा।कैंची धाम के सारे होटल और रेस्टोरेंट अपना सीवर शिप्रा नदी में छोड़ रहे हैं। कैंची धाम में तीन मंजिला पार्किंग और हेलीपैड बनाने के लिए बड़ी बड़ी मशीन लगाई गई हैं।यह बड़ी मशीने आने वाले समय में भूकंप का कारण बनेंगी।प्रलय को सीधा न्यौता दिया गया है ।आपदा की नींव डोल नगाड़े के साथ रखी जा चुकी है।लेकिन मजबूरी यह है कि कोई कुछ कह नहीं सकता।विश्व के कैंची धाम आ रहे हैं और उनको अपनी गाड़ी लगाने के लिए पार्किंग चाहिए।वीआईपी कैंची धाम आ रहे हैं और उनकी जरूरत है हेलीपैड।रील बनाने वाली जनता को किसी भी तरह से फ़ूड पार्क और लिफ्ट और आलीशान सुविधा वाले होटल चाहिए ।कैंची धाम में अब साधना और तप करने नहीं बल्कि पर्यटन के लिए लोग आते हैं इसलिए सुविधाएं तो चाहिए ।फिर चाहे आगे स्थिति केदारनाथ या जोशींमठ जैसी हो जाए ।तब जब भूकंप आएँगे तो सरकार किनारे खड़ी हो चुप्पी साध लेगी ।विनाश के चपेट में आएगी कैंची धाम की जनता।वही जनता जो आज होटल और रेस्टोरेंट खोलकर बाबा के भक्तों से पैसा कमाने की हवस में चूर है। भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है, यह अभी कहना कठिन है। लेकिन जो दूरदर्शी सोच रखते हैं,वह कैंची धाम में वर्तमान में चल रही गतिविधियों से भविष्य का आंकलन कर सकते हैं।

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