भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 2011 बैच के टॉपर और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के संस्थापक शाह फैसल पर भी पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) लगा दिया गया है। हालांकि शाह फैसल पर किन आरोपों के तहत पीएसए लगाया गया है, अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आने वाले शाह फैसल जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) के अध्यक्ष हैं।
अगस्त से नजरबंद हैं शाह फैसल
बता दें कि फैसल को पिछले साल अगस्त में दिल्ली एयरपोर्ट से हिरासत में लिया गया था। वह दिल्ली से इस्तांबुल जा रहे थे, जिसके बाद उन्हें दिल्ली से श्रीनगर लाया गया और उन्हें उनके घर में नजरबंद कर दिया गया। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म किए जाने के बाद फैसल को उनके एक ट्वीट की वजह से हिरासत में लिया गया था। उन्होंने ट्वीट किया था, 'राजनीतिक अधिकारों को फिर से पाने के लिए कश्मीर को लंबे, निरंतर और अहिंसक राजनीतिक आंदोलन की जरूरत है।'
इससे पहले इन नेताओं पर भी लगा पीएसए
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के बाद प्रशासन ने हाल ही में राज्य के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला। पीडीपी नेता और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती, अली मोहम्मद सागर, सरताज मदनी, हिलाल लोन और नईम अख्तर पर भी पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। यह कानून प्रशासन को किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के छह महीने तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है।
उमर के दादा शेख अब्दुल्ला ने लागू किया था पीएसए
जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला के दादा शेख अब्दुल्ला ने 1978 में पीएसए लागू किया था। यह कानून लकड़ी की तस्करी करने वालों के विरूद्ध बना था। 2010 में जम्मू-कश्मीर में कई माह तक स्थिति खराब रही। लोग सड़कों पर थे और प्रदर्शन के दौरान करीब 110 लोग मारे गए थे। इस दौरान भी कई लोगों पर पीएसए लगा दिया गया था। उस समय जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला थे। अब उमर भी इसी एक्ट के तहत हिरासत में हैं। उनके पिता और 5 बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे फारुक अब्दुल्ला के खिलाफ भी पिछले साल सितंबर में पीएसए के तहत केस दर्ज किया गया था।
कौन हैं शाह फैसल
शाह फैसल ने सिविल सेवा परीक्षा (2010) में टॉप किया था और वे जम्मू-कश्मीर से थे। फैसल ने कश्मीर में कथित हत्याओं और इन मामलों में केंद्र की ओर से गंभीर प्रयास नहीं करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया। इस्तीफा देने के एक दिन बाद शाह फैसल ने कहा कि उनका अगला कदम इस पर निर्भर करेगा कि कश्मीर के लोग, खासकर नौजवान उनसे क्या चाहते हैं। शाह फैसल ने कहा कि सरकारी सेवा छोड़ने के लिए उन्हें आलोचना और सराहना दोनों मिली है और उन्हें इसकी 'पूरी उम्मीद भी थी।'
क्या है जनसुरक्षा कानून
जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत दो प्रावधान हैं-लोक व्यवस्था और राज्य की सुरक्षा को खतरा। पहले प्रावधान के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के छह महीने तक और दूसरे प्रावधान के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
			 
                     
                    