मवेशियों को मारने या बिक्री पर पाबंदी लगाने मामले पर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि मवेशियों और बूचड़खानों पर राज्य सरकार मौजूदा नियमों में खत का जवाब मिलने पर ही कोई बदलाव करेगी। सीएम विजयन का कहना है कि अगर आज मवेशियों को मारने पर पाबंदी लगा दी जा रही है, तो कल मछली खाने पर भी रोक लगा दी जाएगी। केंद्र के नए नियम से गरीब, दलित और किसानों के रोजगार पर प्रभाव पड़ेगा।
वहीं, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने केंद्र के इस फैसले को किसानों के हित में बताया है। उन्होंने कहा, सरकार ने पहले से ही मौजूदा कानून का समर्थन किया है।
सरकार के इस फैसले के खिलाफ स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया, सीपीएम की यूथ विंग केरल के 200 स्थानों पर बीफ फेस्ट आयोजित करने जा रहा है। सरकार के इस फैसले का तमिलनाडु में भी विरोध हो रहा है। (वीसीके) पार्टी के नेता तोल तिरूमावलवन ने सरकार को अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताते हुए इस फैसले को आरएसएस का एजेंडा करार दिया।
गौरतलब है कि पर्यावरण मंत्रालय ने द प्रीवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टु एनिमल्स (रेगुलेशन ऑफ लाइवस्टॉक मार्केट्स) नियम 2017 को नोटिफाई कर दिया है। इस नोटिफिकेशन का मकसद मवेशी बाजार में जानवरों की खरीद- बिक्री को रेगुलेट करने के साथ मवेशियों के खिलाफ क्रूरता रोकना है।
पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन का कहना हैं कि गाय, सांड़, भैंस, बैल, बछड़े, ऊंट जैसे जानवर इस कैटेगरी में आते हैं। हालांकि ये नियम बाजार के लिए हैं और मवेशियों की व्यक्तिगत तौर पर खरीद-बिक्री को इसमें स्पष्ट नहीं किया गया है। बूचड़खानों के लिए 50 से 60 फीसदी जानवर इन्हीं मवेशी बाजारों से आते हैं। लिहाजा नोटिफिकेशन के बाद मीट के व्यापार पर इसका असर पड़ेगा।