भीमा-कोरेगांव मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने पुणे पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर रद्द कराने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
कोर्ट में गौतम नवलखा में इसी महीने याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा था कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और उन्हें गलत तरह से फंसाया गया है। उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द की जाए। उनकी याचिका पर जस्टिस रंजीत मोरे और भारती डांगरे की पीठ शुक्रवार को सुनवाई करेगी।
पांच कार्यकर्ताओं को किया गया था गिरफ्तार
महाराष्ट्र पुलिस ने 28 अगस्त को नवलखा को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। इसके अलावा चार अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस का आरोप है कि इनके नक्सली लिंक हैं और भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़काने में इनका हाथ था। गिरफ्तार कार्यकर्ताओं में वरवर राव, अरुण फरेरा, वरनन गोंजालवीस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन्हें घरों में नजरबंद किया गया था। कोर्ट ने यह आदेश रोमिला थापर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक और देवकी जैन की याचिका पर दिया।
नजरबंदी से हो गए थे मुक्त
मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की ट्रांजिट रिमांड संबंधी याचिका खारिज हो गई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा को नजरबंदी से मुक्त करने की इजाजत दे दी। दिल्ली हाईकोर्ट ने नवलखा को राहत देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते उन्हें आगे के उपायों के लिए चार हफ्तों के अंदर उपयुक्त अदालत का रुख करने की छूट दी थी, जिसका उन्होंने उपयोग किया है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत की ट्रांजिट रिमांड के आदेश को भी रद्द कर दिया।