मद्रास हाई कोर्ट ने बच्चों के कंधों और सिर से बोझ कम करने का काम किया है। अपने एक अहम फैसले में कोर्ट ने कहा है कि बच्चे कोई वेटलिफ्टर नहीं हैं, जो उनके स्कूल बैग का वजन इतना ज्यादा किया जा रहा है। कोर्ट ने केंद्र को कहा है कि वह राज्यों को जारी दिशा-निर्देश जारी करे कि स्कूल बैग का बोझ बच्चे के वजन से दस फीसदी किसी हाल में ज्यादा न हो। इसके साथ ही कक्षा 1 और 2 के बच्चों होम वर्क नहीं देने की हिदायत दी गई।
जस्टिस एन किरुबाकरन ने तेलंगाना व महाराष्ट्र के सरकारी आर्डर (जीओ) का हवाला देते हुए आदेश दिया कि सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में चिल्ड्रन स्कूल बैग पॉलिसी बनवाई जाए। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीएसई व निजी स्कूलों की संस्था सुनिश्चित करे कि स्कूलों में केवल एनसीईआरटी की किताबें ही इस्तेमाल में लाई जाएं।
एम पुरुषोत्तमानन ने अदालत से अपील की थी कि सीबीएसई के स्कूलों में केवल एनसीईआरटी की किताबों का इस्तेमाल किया जाए। अपील में यह भी कहा गया था कि सीबीएसई के स्कूल कक्षा 1 व 2 के बच्चों को होमवर्क दे रहे हैं। कोर्ट ने वैज्ञानिक तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि इस उम्र के बच्चों को कम से कम 11 घंटे की नींद लेना आवश्यक है। बच्चे होमवर्क में उलझे रहेंगे तो आराम कब कर सकेंगे?
कोर्ट का कहना था कि होमवर्क केवल बड़ी उम्र के बच्चों के लिए लाभदायक है। जज ने यह भी कहा कि यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि क्लास एक के बच्चों को कंप्यूटर साइंस व ग्रामर भी पढ़ाई जा रही है। उनका सवाल था कि पांच साल की उम्र का बच्चा किस तरह से सामान्य ज्ञान व ग्रामर को समझ सकता है। जज ने यह भी कहा कि राज्य शिक्षा बोर्ड भी एनसीईआरटी के दिशा-निर्देशों की पालना करेंगे।