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मणिपुर हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सुरक्षा उपायों पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगा कि राजनीतिक मशीनरी मणिपुर में कानून-व्यवस्था...
मणिपुर हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सुरक्षा उपायों पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगा कि राजनीतिक मशीनरी मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर आंखें न मूंदे। साथ ही शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को मणिपुर में हिंसा प्रभावित लोगों की सुरक्षा, राहत एवं पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों पर अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी दिया।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह बहुसंख्यक मेइती समुदाय को आरक्षण देने के मणिपुर हाई कोर्ट के फैसले से उत्पन्न कानूनी मुद्दों पर विचार नहीं करेगी, क्योंकि इस आदेश को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं हाई कोर्ट की एक वृहद पीठ के समक्ष लंबित हैं। इस पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा, “कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है। भारत की सर्वोच्च अदालत के रूप में वह यह सुनिश्चित करेगी कि राजनीतिक मशीनरी स्थिति को लेकर आंखें बंद न रखे।”

शीर्ष अदालत ने मणिपुर में कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों द्वारा जताई गई चिंताओं का संज्ञान लिया। साथ ही आदेश दिया कि प्रमुख सचिव और उनके सुरक्षा सलाहकार आदिवासियों द्वारा बताए गए गांवों में स्थिति का आकलन करेंगे तथा वहां ‘शांति एवं सद्भाव’ सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाएंगे।

पीठ ने कहा कि आदिवासी मेइती समुदाय को आरक्षण के मुद्दे से जुड़ी शिकायतों को लेकर मणिपुर उच्च न्यायालय की खंडपीठ का रुख कर सकते हैं।

उसने राज्य सरकार से हिंसा प्रभावित व्यक्तियों की मदद के लिए किए गए राहत, सुरक्षा एवं पुनर्वास संबंधी उपायों पर एक नयी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

वहीं, राज्य सरकार ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में कहा कि उसने हिंसा प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए कई कदम उठाए हैं, 46,000 से अधिक लोगों को बचाया गया है, और 3,000 से अधिक लोगों को हवाई अड्डों पर ले जाया गया है, ताकि वे राज्य से बाहर निकल सकें।

मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा की जा रही आरक्षण की मांग के विरोध में निकाले गए एक मार्च के दौरान इंफाल घाटी और उसके आसपास के पहाड़ी जिलों में हुई जातीय हिंसा में 50 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने राज्य में जान-माल के भारी नुकसान पर चिंता जताई थी और केंद्र एवं मणिपुर सरकार को पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए राहत एवं पुनर्वास कार्य तेज करने तथा धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।

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