रामगोपाल बूरी-
एक दिन पहले पांच लाख के ईनामी कुख्यात बदमाश आंनदपाल सिंह की पुलिस एनकाउंटर में मौत होने के बाद राजस्थान में एक अलग तरह की सियासत शुरू हो गई है। रविवार को रतनगढ़ अस्पताल में आंनदपाल का शव लेने पहुंचे परिजनों के पास कुछ नेताओ के फोन आने पर पंचानामा हस्ताक्षर करने के बाद भी उन्होंने शव लेने से इंकार कर दिया। आनंदपाल के परिजन व उसके सर्मथक इस आनंदपाल के इस एनकाउंटर को फर्जी बताकर सीबीआई से जांच की मांग करने पर अड़े हैं।
उन्मादियों को सियासत का मिल गया मौका
बदमाश आनंदपाल की मौत के बाद अब प्रदेश की पुलिस इस घटना को अलग ही रूप देने वाले कुछ उन्मादी लोगों की वजह से बड़े ही पशोपेश में है। सोमवार को एक बार फिर पुलिस के आला अधिकारियों ने मृतक बदमाश आनंदपाल के परिजनों से संपर्क कर शव लेने को कहा, मगर परिजनों व उसके समर्थकों ने शव लेने से इंकार कर दिया।
लिहाजा आनंदपाल का शव अब भी रतनगढ़ अस्पताल की मोर्चरी के डी फ्रीज में ही रखा हुआ है। बदमाश के एनकाउंटर के बाद चूरू, नागौर व अजमेर जिले में दो समुदायों के बीच जातीय टकराव की स्थित पैदा हो रही है। राजस्थान पुलिस मुख्यालय से निर्देश के बाद प्रभावित तीनों जिलों चूरू, नागौर और चूरू में पुलिस, आरएसी व अन्य सुरक्षाकर्मी तैनात किए जा रहे हैं।
जुटने लगी भीड़, सीबीआई जांच पर अड़े
इधर, आंनदपाल के पैतृक गांव सांवराद में सुबह से ही बदमाश आनंदपाल के सर्मथकों व रिश्तेदारों का जमावड़ा शुरू हो गया। जानकारी में आया है कि अब तक तकरीबन पन्द्रह सौ लोग सांवराद पहुंच गए हैं। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस ने भी यहां पर जाब्ता बढ़ा दिया गया है। अजमेर रेंज आईजी समेत जिले के आला अधिकारी पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं और परिजनों से संपर्क कर मामले जल्द से जल्द निपटने का प्रयास कर रहे हैं।
कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल को मुठभेड़ में मार गिराने के बाद प्रदेश में बन रहे हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए डीजीपी मनोज भट्ट ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। पुलिस का मानना है कि आनंदपाल के मरने के बाद इस इलाके में बरसों चलने वाली गैंगवार पर लगाम लगेगा। आपको यह भी बता दें कि आनंदपाल का जानी दुश्मन राजू ठेहट अभी जयपुर की सेंट्रल जेल में बंद है। उसके साथ आनंदपाल की कथित प्रेमिका और लेडी डॉन के नाम से मशहूर अनुराधा भी यहीं जेल की सजा काट रही है।
फर्जी एनकाउंटर पर किसी भी जांच को तैयार है पुलिस
सोमवार को भट्ट ने हमारी बातचीत में कहा कि कुछ असामाजिक उन्मादी लोग इस मामले को राजनीतिक रंग देना चाहते है। डीजीपी ने लोगों से इस तरह के लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देकर शांति व कानून व्यवथा बनाए रखने में पुलिस की मदद करने की अपील की है।
फर्जी एनकाउंटर के सवालों पर डीजीपी का कहना है कि वो खुद और उनकी टीम ने यह ऑपरेशन पूरी पारदर्शिता से किया है। सवाल उठाने पर भट्ट ने कहा कि सरकार चाहे जिस स्तर से जांच करवा लें, वो किसी भी जांच के लिए तैयार हैं।
ईआरटी कमाण्डो को दिया शेरदिल नाम
कुख्यात बदमाश आंनदपाल को पहली गोली मारने वाले ईआरटी के कमाण्डों सोहन सिंह तंवर का सवाई मानसिंह अस्पताल में उपचार चल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि ऑपरेशन के बाद अब हालत ठीक है। चिकित्सकों ने कहा है कि कमाण्डों का ऑपरेशन सफल रहा है। बहुत जल्द वह पहले की तरह चलने लगेंगे। आपको बता दे कि अपनी जान की परवाह किए बैगेर सोहन सिंह तंवर ने ही इस आनंदपाल एनकांटर के ऑपरेशन को लीड करते हुए उसके सिर में पहली गोली मारी थी। उसके साहस को सलाम करते हुए डीजीपी मनोज भट्ट ने रविवार को अस्पताल में मुलाकात के दौरान कमाण्डों को शेरदिल का नाम दिया।
पुलिस की जोरदार वाहवाही
अमावस की रात कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह को खत्म करने में राज्य पुलिस की सभी टीमों का अलग-अलग योदगान रहा। डीजीपी ने बताया कि इनमें एक टीम लिंक जानने के लिए एसओजी मुख्यालय में बैठकर पूरे मामले के इनपुट्स तलाश रही थी। दूसरी टीम फील्ड में थी, जो स्थानीय पुलिस के समन्वय से मिले लिंक पर कड़ी मेहनत से काम कर रही थी। इसके बाद यह ऑपरेशन किया गया। इस महत्वपूर्ण ऑपरेशन की टीम को लीड कर रहे थे चूरू एसपी राहूल बारहट। उनके साथ एएसपी करण शर्मा, एएसपी संजीव भटनागर, डीएसपी विद्या प्रकाश चौधरी व सीआई सूर्यवीर सिंह राठौड़ ने पूरा सहयोग किया। इन सब के ऊपर एडीजी उमेश मिश्र, आईजी दिनेश एमएन, एसपी संजय श्रोत्रिय की सुपर मॉनिटरिंग रही जिस कारण यह ऑपरेशन सफल हुआ।
सोशल मीडिया के माध्यम से जातीय टकराव कराने की तैयारी
मुठभेड़ में ढेर हुए कुख्यात अपराधी आनंदपाल की फरारी के बाद से ही कुछ असामाजिक लोग जो अधिकांशत: खुद भी अपराधी किस्म के रहे हैं, वो इस मामले को सोशल मीडिया के जरिये गलत तरीके से प्रचारित कर रहे हैं। आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद यही लोग समाज के कथित प्रतिष्ठित लोगों के इशारे पर पूरे घटनक्रम को राजनीतिक रंग देने में लगे हैं। यहां की दो मार्शल जातियों के बीच अब यह वर्चस्व की जंग कराने की तैयारी में हैं।
आनंदपाल की मां ने कहा था: बेटा सरेंडर कर दो
आपको बता दें कि आनंदपाल की मां खुद उसे सरेण्डर करने की गुहार करती रहीं हैं। मुठभेड़ के वक्त एसओजी कमाण्डोज ने भी गोली चलाने से पहले आनंदपाल को सरेण्डर करने को कहा था, किंतु उसने पुलिस पर ही गोलियां चलानी शुरू कर दीं। आनंदपाल के मरने के बाद उसके समुदाय से जुड़े कुछ लोग पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि यह मुठभेड़ एकदम फर्जी थी। यह भी बताया जा रहा है कि जिनका राजनीतिक वजूद खत्म होता जा रहा है ऐसे कुछ लोग इस प्रकरण के माध्यम से राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहते हैं।