सुप्रीम कोर्ट के सरकारी आवास खाली कराने के आदेश के बाद यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कहा है कि 13 ए माल एवेन्यू तो मेरा सरकारी आवास ही नहीं है। सरकारी आवास छह लाल बहादुर शास्त्री मार्ग है और जिसे वह जल्द खाली कर देंगी। उनके इस पत्र के बाद इस मामले में नया मोड़ आ गया है।
समाचर एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शुक्रवार को मायावती के पत्र को लेकर उनके प्रतिनिधि के तौर पर पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा और लालजी वर्मा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले तथा बसपा शासनकाल में हुए कैबिनेट के फैसले की जानकारी उन्हें दी। पत्र में मायावती ने लिखा है कि 13 जनवरी 2011 में 13 ए माल एवेन्यू कांशीराम जी यादगार स्थल घोषित किया जा चुका है। उसके कुछ भाग में मुझे इस मकसद से रहने की मंजूरी दी गई थी कि इस स्थल का रखरखाव हो सके। 23 दिसंबर 2011 में राज्य के संपत्ति विभाग ने छह लाल बहादुर शास्त्री मार्ग क़ो उन्हें आवास के रूप में आवंटित किया था। मैं इसे खाली कर विभाग को सौंप दूंगी।
बसपा प्रमुख ने पत्र में कहा है कि कांशीराम यादगार स्थल का रखरखाव जो प्राइवेट कर्मी करते थे वह मेरे ही बंगले में रहकर करते थे लेकिन अब जो मेरा निजी मकान है, उसमें इतनी जगह नहीं है कि मैं इन कर्मियों को रख सकूं। इसलिए इनके ठहरने की व्यवस्था करने तक मुझे समय दिया जाए। साथ ही आग्रह किया है कि श्री कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल की देखरेख और सुरक्षा राज्य का संपत्ति विभाग करे। इसमें अगर किसी तरह की दिक्कत विभाग को होती है तो पहले की तरह ही बसपा को इसके लिए अधिकृत करे।
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास देने के कानून को रद्द कर दिया था। जिसके बाद राज्य सम्पत्ति विभाग ने प्रदेश के छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला 15 दिन में खाली करने के लिए नोटिस जारी किया था। इस पर बसपा प्रमुख मायावती ने अपने बंगले 13ए-माल एवेन्यू पर ‘श्री कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल’ का बोर्ड लगाकर यह जताने की कोशिश की कि यह बंगला कांशीराम की स्मृतियों से जुड़ा है।